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हिमालय पर 70 फीसद जीव-जंतु और वनस्पतियाें संख्‍या घटी, नए शोध में खुलासा nainital news

वनस्‍पतियाें पर अब खतरा मंडरा रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग के असर के कारण इनका दायरा सिमटता जा रहा है। वैज्ञानिकों के शोध की जाे रिपोर्ट सामने आ रही है वह काफी चिंताजनक

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 05:49 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 05:49 PM (IST)
हिमालय पर 70 फीसद जीव-जंतु और वनस्पतियाें संख्‍या घटी, नए शोध में खुलासा nainital news
हिमालय पर 70 फीसद जीव-जंतु और वनस्पतियाें संख्‍या घटी, नए शोध में खुलासा nainital news

अल्मोड़ा, दीप सिंह बोरा : हिमालय पर होने वली विविध वनस्‍पतियां न सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से बेहद जरूरी होती हैं, बल्कि इनका औषधीय महत्‍व भी काफी होता है। लेकिन इन वनस्‍पतियाें पर अब खतरा मंडरा रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग के असर के कारण इनका दायरा सिमटता जा रहा है। वैज्ञानिकों के शोध की जाे नई रिपोर्ट सामने आ रही है उसने पर्यावरणप्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (काठमांडू) के वैज्ञानिक डॉ. नकुल क्षेत्री के मुताबिक पूरा हिमालयी क्षेत्र बेहद नाजुक है। साल दर साल तापक्रम में वृद्धि से यह बहुत जल्द गर्म हो रहा है। यही कारण है कि सन 1700 से अब तक हिमालय की तकरीबन 70 से 80 फीसद वनस्पति व जीव प्रजातियां कम हो गई हैं। अब इस पर अंकुश के लिए हमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीक से प्रदूषण को न्यून स्तर पर लाने के ठोस प्रयास करने होंगे।

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हिमालयन बेल्ट में जलवायु परिवर्तन वैश्विक एजेंडा बना

पिछले कई वर्षों से हिमालयी क्षेत्र में शोध व अध्ययन में जुटे मित्र राष्ट्र के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (काठमांडू) में प्रोग्राम कोर्डिनेटर डॉ. नकुल क्षेत्री की रिपोर्ट हिमालयी क्षेत्र के लेकर चिंता व चिंतन का सबब है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे डॉ. क्षेत्री बताते हैं कि हिमालयन बेल्ट में तापवृद्धि व जलवायु परिवर्तन वैश्विक एजेंडा बन चुका है। इन चुनौतियों के लिहाज से हिमालय बेहद नाजुक है। यही वजह है कि यहां विविधता आने लगी है। फ्लोरा एंड फाउना पर अब तक किए गए अध्ययन के अनुसार वह कहते हैं कि 1700 से अब तक की शोध रिपोर्ट बताती है कि हिमालय में 70 से 80 फीसद वनस्पतियां व जीव-जंतुओं में कमी आई है।

उच्च हिमालय की ओर खिसक रहा जीवन

बकौल डॉ. नकुल, जलवायु परिवर्तन के कारण जीवन उच्च हिमालय की ओर जगह तलाश रहा। यानी वनस्पतियां, जीव जंतु तापवृद्धि से बचने को ऊपरी क्षेत्र की ओर खिसक रहे हैं। फल व फूल आने का चक्र गड़बड़ाने लगा है। समयपूर्व फूल खिलना व फल आना इसका बड़ा उदाहरण है।

मेहमान पक्षी तक प्रभावित

मानवीय गतिविधियां मसलन ग्रीन हाउस गैस के अधिक उत्सर्जन से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ रही है। इससे तापक्रम बढऩे व जैवविविधता में बदलाव से मेहमान पक्षियों के व्यवहार में बदलाव दिखने लगा है। ऐसे में हमें जंगलात बचाने होंगे, तभी जलस्रोत व जैवविविधता भी बचेगी।

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