फायर सीजन में उत्तराखंड ने 51 हजार से ज्यादा पेड़ खाक, आठ लोगों की मौत
15 जून के साथ फायर सीजन भी चला गया। अब मानसून सीजन आने के साथ वन विभाग के अफसरों को भी राहत मिली है। हालांकि जंगल की आग ने हरियाली को बड़ा जख्म दिया है। फायर सीजन के दौरान 51262 पेड़ जलकर राख हो गए।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : 15 जून के साथ फायर सीजन भी चला गया। अब मानसून सीजन आने के साथ वन विभाग के अफसरों को भी राहत मिली है। हालांकि, जंगल की आग ने हरियाली को बड़ा जख्म दिया है। फायर सीजन के दौरान 51262 पेड़ जलकर राख हो गए। प्रदेश में कुल 3970 हेक्टेयर जंगल इससे प्रभावित हुआ। पर्यावरणीय क्षति का आंकलन एक करोड़ से भी अधिक आया है। 222 हेक्टेयर प्लांटटेशन एरिया जला।
15 फरवरी से 15 मार्च के बीच उत्तराखंड में फायर सीजन माना जाता है। इस दौरान जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। शुरुआत में प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में थी। लेकिन अप्रैल की शुरूआत के साथ मामले लगातार बढ़ते चले गए। ऐसे में वन विभाग की चिंता में पड़ गया। एनडीआरएफ से लेकर वायुसेना तक की मदद ली गई। लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ। वहीं, सबसे ज्यादा वनाग्नि का असर पौड़ी जिले में हुआ। वहां एक हजार से ज्यादा हेक्टेयर जंगल जला।
फायर सीजन में आठ लोगों की मौत
फायर सीजन के दौरान आठ लोगों की मौत हुई। इसमें वनकर्मी भी शामिल है। जंगल की आग बुझाने के दौरान यह लोग लपटों की चपेट में आ गए। इसके बाद उपचार के दौरान मौत हो गई। रिजर्व फॉरेस्ट की बजाय वन पंचायतों का जंगल इस बार भी ज्यादा सुरक्षित रहा। रिजर्व फॉरेस्ट में जहां 1948 घटनाएं हुई। वहीं, सिविल सोयम यानी पंचायत में 979। रिजर्व फॉरेस्ट में 2576 और पंचायत में 1398 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया।
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