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Kumaon Weather Update : चार दिन के अंदर उत्तराखंड से विदा होगा मानसून, मौसम में आएगा यह बदलाव

Kumaon Weather Update मौसम विज्ञानियों का कहना है कि कुमाऊं में अगला सप्ताह शुष्क बीतने वाला है। मानसून की विदाई के साथ अधिकतम तापमान में थोड़ी तेजी आएगी। न्यूनतम तापमान में कमी आने की संभावना है। ऐसे में दिन में गर्मी बढ़ेगी तो रातें सर्द होने लगेगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 06:08 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 06:08 AM (IST)
Kumaon Weather Update : चार दिन के अंदर उत्तराखंड से विदा होगा मानसून, मौसम में आएगा यह बदलाव
अगले तीन से चार दिनों में उत्तराखंड से मानसून की वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी शुरू हो गई है। राजस्थान के कुछ हिस्सों व उससे लगे गुजरात के कुछ हिस्सों से बुधवार को मानसून विदा हो गया। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि बीकानेर, जोधपुर, जालोर, भुज आदि स्थानों से मानसून की लाइन गुजर रही है। अगले तीन से चार दिनों में उत्तराखंड सहित उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से मानसून की वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। 

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कुमाऊं के प्रमुख स्टेशनों का तापमान 

स्टेशन         अधिकतम     न्यूनतम 

हल्द्वानी        31.7          22.6

नैनीताल       23.6          14.6

रुद्रपुर          34.0          24.0

अल्मोड़ा       30.2          16.7

चम्पावत       24.7          13.5

बागेश्वर       33.5          19.5

अगले सप्ताह कुमाऊं में शुष्क रहेगा मौसम 

उत्तराखंड में मानसून की विदाई के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि कुमाऊं में अगला सप्ताह शुष्क बीतने वाला है। मानसून की विदाई के साथ अधिकतम तापमान में थोड़ी तेजी आएगी। न्यूनतम तापमान में कमी आने की संभावना है। ऐसे में दिन में गर्मी बढ़ेगी तो रातें सर्द होने लगेगी। तापमान में उतार-चढ़ाव स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता पैदा करेगा। तापमान में लगातार बदलाव की वजह से वायरल फीवर, सर्दी, जुकाम के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। 

फसलों को समेटने में मिलेगी मदद 

मौसम विज्ञानियों ने आगे मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई है। किसानों के लिए यह राहतभरी खबर है। मैदानी इलाकों में धान की फैसल तैयार है। धान पकने को है। इधर, मिट्टी भुरभुरी होने से सरसों की बुआई के लिए खेत तैयार हो जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में घास कटाई और खरीफ की फसलों को समेटने के लिए समय मिल जाएगा।


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