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बाइपास सर्जरी फिर भी 85 साल की उम्र में मोहिनी ने जीत ली कोरोना से जंग

अगर हौसला हो तो कोरोना की जंग आसानी से जीती जा सकती है। जहां युवा कोरोना की जंग हार रहे हैं वहीं चोरगलिया की 85 वर्षीय महिला मोहिनी देवी ने कोरोना की जंग जीत ली है। जबकि महिला का कुछ समय पहले ही बाइपास सर्जरी हुई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 05:45 PM (IST)
बाइपास सर्जरी फिर भी 85 साल की उम्र में मोहिनी ने जीत ली कोरोना से जंग
बाइपास सर्जरी फिर भी 85 साल की उम्र में मोहिनी ने जीत ली कोरोना से जंग

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : अगर हौसला हो तो कोरोना की जंग आसानी से जीती जा सकती है। जहां युवा कोरोना की जंग हार रहे हैं, वहीं चोरगलिया की 85 वर्षीय महिला मोहिनी देवी ने कोरोना की जंग जीत ली है। जबकि महिला का कुछ समय पहले ही बाइपास सर्जरी हुई है। वह हाई ब्लड प्रेशर व मधुमेह की रोगी है। वहीं उनके 90 वर्षीय पति मोहन चंद्र ने भी कोरोना की जंग जीत ली है।

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गांव में रहने वाले बुजुर्ग दंपती ने गजब का हौसला दिखाया। 85 वर्षीय मोहिनी देवी कई बीमारियों से ग्रस्त है। दो महीने ही हुए हैं, जब उनकी बाइपास सर्जरी की गई। अभी तक वह सर्जरी की परेशानियों से भी अच्छी तरह नहीं उबरी थी। इसके साथ ही वह उच्च रक्तचाप व मधुमेह की दवाइयाें का भी सेवन करती हैं। इस बीच महिला कोरोना संक्रमित हो गई।

स्वजन उनकी बीमारी और कोरोना होने से चिंतित हो गए। उन्होंने डाक्टर से संपर्क किया। अस्पताल में भर्ती किए जाने की चर्चा हुई, लेकिन मन की मजबत शक्ति वाली महिला मोहिनी ने अस्पताल में भर्ती होने से साफ इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि मेरे लिए घर पर ही दवा का इंतजाम कर दो। मुझे अस्पताल जाना ही नहीं है। वह अस्पताल नहीं गई। घर पर ही दवाइयां का इंतजाम किया गया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं।

पूरा परिवार हो गया था संक्रमित

परिवार में मोहिनी देवी अकेली संक्रमित नहीं हुई। उनके 90 वर्षीय पति मोहन चंद्र भी संक्रमित हो गए। यहां तक परिवार के अन्य सभी सदस्यों की आरटीपीसीआर जांच कराई गई। सभी संक्रमित आ गए। इसके बाद भी परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। हौसला बनाए रखा। एक-दूसरे की मदद से कोरोना की जंग लड़ने में जुट गए। अब 20 दिन से अधिक समय हो गया है। सभी स्वस्थ हो गए हैं। स्वजनों का कहना है कि एक-दूसरे का सहयोग करते रहे। एलोपैथिक दवाइयों के अलावा घरेलू उपचार पर पूरा ध्यान दिया। एक-दूसरे को मनोबल बढ़ाते रहे। अब सबकुछ अच्छा है। भारत नैनवाल का कहना है कि नानी के हौसले से हम सभी को प्ररेणा मिलती है।

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