66 साल की रिटायर्ड शिक्षिका मोहिनी जैविक खेती से कमाने के साथ ही प्रवासियों को सिखा रहीं खेती के गुर
उनकी उम्र 66 साल की हो गई है। पर खेतीबाड़ी में उनका उत्साह देखने लायक है। बावजूद वह करीब 50 नाली भूमि पर संतरा माल्टा गहत अदरक गडेरी राजमा नीबू मटर धनिया आदि की खेती कर रही हैं।
घनश्याम जोशी, बागेश्वर। कहते हैं यदि मन में कुछ करने की तमन्ना हो तो उम्र भी आड़े नहीं आती है। इस बात को जनौटी पालड़ी गांव निवासी मोहिनी जनौटी सच साबित कर रही हैं। उनकी उम्र 66 साल की हो गई है पर खेतीबाड़ी में उनका उत्साह देखने लायक है। वह शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं, उनके पति भी शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं, जबकि तीन बेटे और बहुएं भी शिक्षक हैं। बावजूद वह करीब 50 नाली भूमि पर संतरा, माल्टा, गहत, अदरक, गडेरी, राजमा, नीबू, मटर, धनिया आदि की खेती कर रही हैं और सालभर में करीब दो लाख रुपये से अधिक की फल, सब्जी और अनाज से कमाई कर रही हैं। इतना ही नहीं वह लाकडाउन के बाद घर आए प्रवासियों को भी खेती के गुर सिखा रही हैं।
पालड़ीछीना निवासी मोहनी देवी ने इस सीजन में 50 हजार रुपये की हरी सब्जी, गडेरी, 40 हजार के माल्टा, 10 हजार की अदरक और 15 हजार रुपये के संतरे समेत अन्य नकदी फसलें बेचकर परिवार के साथ ही गांव के 20 से अधिक प्रवासी युवाओं को भी रोजगार दिया है। मोहनी देवी कहती हैं कि उन्होंने शिक्षा विभाग में रहते हुए भी बेहतर काम किया। इसके लिए कई पुरस्कार भी मिले। अब उद्यान विभाग उन्हेंं हर साल बेहतर किसान के रूप में पुरस्कृत कर रहा है। लाकडाउन के बाद गांव के तमाम युवा शहर से घर लौटे हैं। उन्हेंं भी वह जैविक खेती सिखा रही हैं। उनकी पहल और प्रेरणा से गांव लौटे 20 युवाओं ने जैविक खेती से बेहतर आमदनी शुरू कर दी है।
पेड़ों से मिल रही शुद्ध हवा
संतरा के पेड़ 100, नीबू 150, माल्टा 500, कागजी नीबू 100, अखरोट 100 के अलावा अन्य प्रजाति के पेड़ भी उन्होंने लगाए हैं। जिससे पूरे गांव को शुद्ध हवा मिल रही है और पर्यावरण भी बच रहा है। जिला उद्यान अधिकारी रामकुशल सिंह के अनुसार हार्टीकल्चर के तहत संतरा, मल्टा, सब्जी आदि का उत्पादन मोहिनी देवी कर रही हैं उन्होंने गांव के लोगों को भी रोजगार दिया है। पालीहाउस और गो-पालन कर वह पूरे जिले की ब्रांड बन गई हैं। सालभर में वे करीब दो लाख रुपये की आय सब्जी और फलों से अॢजत कर रही हैं।