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Coronavirus Lockdown : ट्रेन से पहुंचे प्रवासियों ने कहा-वनवास खत्म हुआ, यहां हर मुसीबत से लड़ लेंगे

लॉकडाउन में एक-एक दिन मुश्किल से बिताने वाले प्रवासी डेढ़ माह के लंबे इंतजार के बाद सोमवार रात कुमाऊं की धरती पर पहुंचे तो नजारा देखते वाला था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 11:26 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 11:26 AM (IST)
Coronavirus Lockdown : ट्रेन से पहुंचे प्रवासियों ने कहा-वनवास खत्म हुआ, यहां हर मुसीबत से लड़ लेंगे
Coronavirus Lockdown : ट्रेन से पहुंचे प्रवासियों ने कहा-वनवास खत्म हुआ, यहां हर मुसीबत से लड़ लेंगे

हल्द्वानी, जेएनएन : लॉकडाउन में एक-एक दिन मुश्किल से बिताने वाले प्रवासी डेढ़ माह के लंबे इंतजार के बाद सोमवार रात कुमाऊं की धरती पर पहुंचे तो नजारा देखते वाला था। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर जैसे ही यात्रियों के कदम ट्रेन के डिब्बे से धरती पर पड़े तो लगा मानो परेशानियों से बाहर निकल आए हैं। स्टेशन के बाहर का यह नजारा जिसने भी देखा भावुक हो गया। रात 11:35 बजे ट्रेन काठगोदाम पहुंची। एक-एक यात्रियों को बाहर निकालकर जिलेवार कतारबद्ध किया गया। सुरक्षा व्यवस्था के पूरे इंतजाम किए गए थे। फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए घेरे भी बनाए गए थे। एडीएम केएस टोलिया, सीडीओ विनीत कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, एसडीएम विवेक राय समेत जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग व रोडवेज के अधिकारी देर रात तक ड्यूटी पर जुटे रहे।

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ये है यात्रियों का विवरण

हल्द्वानी                462

नैनीताल               48

अल्मोड़ा              119

रानीखेत               4

बागेश्वर                 291

चम्पावत                6

पिथौरागढ़             254

ऊधमसिंह नगर     16

सिलवासा के लोगों को नहीं नसीब हुई ट्रेन

दादरा एवं नगर हवेली की राजधानी सिलवासा में काम करने वाले कुमाऊं के लोगों का घर लौटने का सपना अधूरा रह गया। यह केंद्र शासित प्रदेश ग्रीन जोन में है। वहीं प्रवासियों को लाने वाली बस इस केंद्र शासित प्रदेश की सीमा के पार खड़ी थी। इसी वजह से बस पकडऩे के लिए जब ग्रीन जोन से लोग रेड जोन को जाने लगे तो बार्डर पर ही स्थानीय प्रशासन ने उन्हें रोक लिया।

लोगों में देखा कफ, बुखार की स्थिति

एसीएमओ डॉ. रश्मि पंत ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की 18 टीमें रेलवे स्टेशन से लेकर राहत केंद्रों में जुटी रही। छह टीमों ने रेलवे स्टेशन और बाकी छह टीमें गौलापार स्टेडियम व छह टीमें जैसमिन बैंक्वेट हाल में जांच में जुटी रहीं। डॉ. पंत ने बताया कि लोगों का तापमान, बुखार व कफ की स्थिति देखी गई।

ट्रेन के समय को लेकर असमंजस

जिला प्रशासन की ओर से ट्रेन के आने का समय स्पष्ट नहीं था। सूचना विभाग के अनुसार गुजरात से चलने वाली ट्रेन के मंगलवार को दोपहर को पहुंचने की जानकारी दी थी, लेकिन ट्रेन सोमवार की राहत पहुंच गई। इस पर उप निदेशक सूचना योगेश मिश्रा ने बताया कि पहले स्टॉपेज होने की जानकारी थी, लेकिन बाद में ट्रेन के सभी स्टॉपेज खत्म कर दिए। इसलिए ट्रेन के पहले ही रात में पहुंचने की सूचना आ गई थी।

संक्रमण का भी बढ़ा खतरा

गुजरात में संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है। ऐसे में उस जगह से यात्रियों के आने पर कुमाऊं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। केवल थर्मल स्कैनिंग, फीवर व कफ की जांच की जा रही है। जबकि कई बार कोरोना पॉजिटिव मरीज में किसी तरह के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में खतरा बढऩे से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

ट्रेन छूटी तो डेढ़ लाख में बुक कराई बस

बड़ौदा में काम करने वाले पिथौरागढ़ के कुलदीप खत्री, दीपक बिष्ट, कमल खनका, कमल बिष्ट, खटीमा के जीवन कन्याल टिकट बुक होने के बावजूद सूरत नहीं पहुंच सके। ट्रेन छूटने के बाद 52 लोगों ने 1.68 लाख में बस बुक कराकर हल्द्वानी के लिए रवाना हुए।

भाजपा नेता व संगठन भी जुटे

स्टेशन पर यात्रियों के स्वागत के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत, राजेंद्र अग्रवाल, प्रदीप जनौटी, हरिमोहन अरोरा, कमल मुनि जोशी, संजय दुम्का ने चने, बिस्कुट आदि का इंतजाम किया था। थाल सेवा ने जूस का इंतजाम किया था।

स्टेशन पर पहुंचे प्रवासियाें ने क्या कहा

राजेंद्र सिंह, कनालीछीना पिथौरागढ़ ने बताय कि घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। कल जैसे जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर आई तो उम्मीद जाग गई। वरना डेढ़ माह से एक-एक दिन गुजारना मुश्किल हो गया था। भवान सिंह, अल्मोड़ा ने कहा कि सूरत के होटल में काम करता हूं। लॉकडाउन के बाद से होटल बंद है। घट लौटने के लिए लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहा था। आखिरकार भगवान ने सुन ली। रमेश रावत, बागेश्वर का कहना है कि परिवार के साथ सूरत में रह रहा था। लॉकडाउन की वजह से काम ठप हो गया। किराया देना, खाने का सामान जुटाना तक मुश्किल हो रहा था। इस कारण लौटना पड़ा। दीपक आर्य, बागेश्वर ने बताया कि लॉकडाउन खुलने का इंतजार करते हुए थक गए थे। एक-एक दिन बिताना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार सरकार ने हमारी सुन ली। अब गांव में रहेंगे।


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