नौकरी छोड़कर मैकेनिकल इंजीनियरिंग ने उठाया गांव-शहर को साफ करने का जिम्मा, बदलने लगी तस्वीर
मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनिल मिश्रा स्वच्छता अभियन में जुटे हैं। पहले हीरानगर हल्द्वानी को साफ किया अब यूएस नगर की हथियारी व खैरा नदी को पुनर्जीवन देने के अभियान में जुटे हैं।
रुद्रपुर, अरविंद कुमार सिंह : मैकेनिकल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर अनिल मिश्रा स्वच्छता अभियन में जुटे हैं। पहले हीरानगर हल्द्वानी को साफ किया अब यूएस नगर की हथियारी व खैरा नदी को पुनर्जीवन देने के अभियान में जुटे हैं। नदी में अपशिष्ट पदार्थों को जाने से रोकने के लिए छतरपुर में कूड़ा निस्तारण कर रहे हैं। इसके लिए अनिल ने तकनीक का सहारा लिया है। गांव की स्थिति पर निरंतर नजर रखने के लिए उन्होंने जीओ पैक फीड किया है। जिसमें गांव में जहां भी कूड़ा रहता है वह जगह दिख जाती है। जिसके बाद कूड़ा उठाने के लिए वाहन भेजा जाता है। जीओ तकनीक से वाहन की भी लोकेशन ट्रैश होती रहती है। इस पूरी योजना की फंडिंग अशोका लीलैंड कंपनी कर रही है।
गंदगी के कारण रुद्रपुर के छतरपुर और जयनगर में हथियारी व खैरा नदी का प्रवाह ठहर गया है। दोनों नदियां चार-पांच किलोमीटर के बाद खत्म हो जाती हैं । ग्रामीणों ने नदियों में घरों का कूड़ा फेंककर जाम कर दिया था। इससे उठने वाली दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया था। इन दोनों नदियों के पुनर्जीवन का जिम्मा अशोका लीलैंड ने उठाया और नदियों की सफाई के लिए गांवों में घर-घर कूड़ा उठाने की योजना बनाई। जिम्मेदारी निवारण समिति हल्द्वानी के अध्यक्ष अनिल मिश्रा को दी गई। ग्राम छतरपुर में करीब 12 सौ घर हैं। गांव की भौगोलिक स्थिति को जीओ पैक कंप्यूटर में फीड कर दिया गया है। ग्रामीणों को जैविक व अजैविक कूड़ा अलग अलग रखने के लिए डस्टबिन भी दिए गए हैं। लीलैंड ने कूड़ा उठाने का वाहन भी दिया है।ग्रामीणों में भी स्वच्छता को लेकर काफी उत्साह है।
निवारण सेवा समिति हल्द्वानी के अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने बताया कि अशोका लीलैंड फंंडिंग करता है। मेरा काम घर-घर कूड़ा उठाना और निस्तारण करना है। कूड़ा वाहन अशोका लीलैंड ने ग्राम सभा समिति के सहयोग से खरीदा है। अब जयनगर में भी घर-घर कूड़ा उठाने काम शुरू होने जा रहा है। इसलिए वह अपने स्तर से ट्रैक्टर-ट्राली खरीदी है। कमाई तो हर लोग कर रहे हैं, मगर मुझे लोगों की सेहत के प्रति ज्यादा चिंता रहती है। इसलिए सफाई को अहमियत दी। निरंतर अभियान चलाने का असर ही दिख रहा है कि अब नदियां कुछ हद तक साफ नजर आने लगी हैं।
जानिए क्या है जीओ पैक
जीओ पैक की तकनीक से पता चल जाता है कि घर-घर कूड़ा उठाने वाहन जा रहा है या नहीं। गांवों की सफाई हो रही है या नहीं। ग्रामीण गीला और सूखा कूड़ा डस्टबीन में डाल रहे हैं कि नहीं। इसी तकनीक के माध्यम से समिति घर-घर जाकर कूड़ा उठाने जाती है। इसी तकनीक से गांव की सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग की जाती है।
स्वच्छता का प्रबंधन जानने आ चुके हैं कई प्रधान
गांव में सफाई का ऐसा मॉडल पेश किया गया है कि इसे जानने के लिए हरिद्वार व अन्य गांवों के प्रधान भी छतरपुर में आ चुके हैं। अनिल बताते हैं कि 1996 में मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग काॅलेज से मैकेनिकल की पढ़ाई के बाद फरीदाबाद हरियाणा में एस्काई कंपनी में सहायक इंजीनियर बना। इसके बाद सेंचुरी पेपर मिल लालकुआं में मैकेनिकल इंजीनियर रहा। वर्ष, 2005 में नौकरी छोड़ दी। हालांकि इससे पहले वर्ष 2001 में निवारण सेवा समिति का पंजीयन कराया। 2003 में नगर पालिका हल्द्वानी के सहयोग से हीरानगर वार्ड में सफाई का काम शुरू किया। इसके बाद रुद्रपुर नगर पालिका के सहयोग से पांच वार्डों में सफाई का काम किया। ग्राम तल्ली निवासी अनिल पुत्र रमा शंकर मिश्रा बताते हैं कि उन्हें नौकरी से ज्यादा साफ वातावरण पसंद था। इसलिए सफाई के साथ लोगों को जागरूक करते हैं। सफाई की खासियत भी बताई जाती है।