पहाड़ के कई गांव आज भी मोबाइल नेटवर्क से हैं दूर, ऑनलाइन पढ़ाई को बच्चों को करनी पड़ती है मश्क्कत
नेटवर्क के लिए ग्रामीणों व स्कूली बच्चों ऊँचे स्थानों में जाकर मोबाइल से बात व ऑनलाइन क्लास लेती पड़ती है। पिछले लाकडाउन से बन्द पड़े स्कूलों के कारण ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चें आज भी नेटवर्क की राह देख रहे है।
संवाद सहयोगी, भवाली : देश में आज 5 जी इंटरनेट की टैस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन इस इंटरनेट की दुनिया में कुछ गाँव ऐसे भी है जो नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी मूलभत सुविधा से भी वंचित है। यहाँ नेटवर्क के लिए ग्रामीणों व स्कूली बच्चों ऊँचे स्थानों में जाकर मोबाइल से बात व ऑनलाइन क्लास लेती पड़ती है। पिछले लाकडाउन से बन्द पड़े स्कूलों के कारण ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चें आज भी नेटवर्क की राह देख रहे है।
नगर से कुछ किमी दूर स्थित भवाली गाँव, सिरोड़ी, निगलाट कुछ ऐसे गाँव स्थित है। जो आज भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे है। यहाँ इंटरनेट तो दूर की बात है। एक कॉल लगाने के लिए भी ऊँचे स्थानों में जाकर नेटवर्क ढूढना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि यहाँ के ग्रामीणों ने नेटवर्क कम्पनियों से नेटवर्क स्थापित करने की मांग न कि हो। ग्रामीण व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कई बार शासन, प्रशासन व नेटवर्क कम्पनियों के एजेंटों से यहाँ टावर लगाने की मांग कर चुके है। लेकिन अब तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हुआ। जिस कारण आज भी ग्रामीण नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे है। ग्रामीणों को नेटवर्क की सबसे ज्यादा समस्या पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण हुए लाकडाउन में आई।
जब महामारी के कारण पिछले वर्ष मार्च में सभी स्कूल कॉलेजो को अनिश्चितकालीन समय तक बन्द कर दिया। जिसके बाद स्कूल कॉलेजों ने बच्चों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं चलाई। लेकिन इन आनलाइन क्लासों का फायदा हर किसी क्षेत्र के बच्चें नहीं उठा पाए। क्योंकि वहाँ नेटवर्क उपलब्ध नहीं था। ऐसे में बच्चें पहाड़ो की ऊंची चोटियों में जाकर नेटवर्क ढूढ कर पढ़ते नज़र आए। इस बात को एक वर्ष बीत गया। लेकिन बच्चों व ग्रामीणों की समस्या अबतक हल नहीं हुई।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने इस बार पुनः दस्तक दी। स्कूल कॉलेज फिर से बन्द हुए। ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हुई। लेकिन इन ग्रामीण क्षेत्रो के बच्चें फिर से नेटवर्क अभाव में शिक्षा से वंचित होते नज़र आ रहे है। लेकिन कोई भी शाशन-प्रशासन को इन क्षेत्रों की यह समस्या नज़र नहीं आ रही है। यही हाल रहा तो ये बच्चें इंटरनेट के इस दौर में काफी पीछे रह जाएंगे। समस्या को देखते हुए ग्रामीण शाशन-प्रशासन से जल्द जल्द नेटवर्क कनेक्टिविटी की मांग कर रहे है।
ग्राम प्रधान भवाली गाँव ज्योति बिष्ट का कहना है कि पिछले 5 सालों से गाँव में मोबाइल नेटवर्क की मांग की जा रही हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। घरो के अंदर तो फोन मात्र खिलौना बनकर रह जाता है। नेटवर्क न होने से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करने व उन्हें जनप्रतिनिधियों से ऑनलाइन जुड़ने में काफी समस्या आती है। ,
ग्राम प्रधान सिरोड़ी नीमा बिष्ट ने बताया कि गाँव के कई स्थानों पर नेटवर्क उपलब्ध है। और कई स्थान नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। अधिकतर घरो में तो घरों के अंदर नेटवर्क बिल्कुल गायब हो जाता है। जिस कारण ग्रामीण घरो के बाहर या ऊँचे स्थानों में जाकर इंटरनेट सम्बन्धी कार्य करते है। यदि नेटवर्क कनेक्टिविटी बढ़े तो, ग्रामीणों को काफी सुविधा होगी।
ग्राम प्रधान, कैची-निगलाट पंकज निगलटिया ने बताया कि वर्षो से निगलाट व कैंची के ग्रामीण नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे है। नेटवर्क की उपलब्धता के अभाव में मोबाइल सम्बंधी जरूरी काम नहीं हो पाते। उन्होंने पूर्व में जिओ के अधिकारियों से नेटवर्क के सम्बंध में वार्ता की थी। जिसके फलस्वरूप जिओ का टावर तो लग गया है। वही जल्द ही उन्हें गाँव में नेटवर्क उपलब्ध होने की उम्मीद है।
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