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नैनीताल की लोअर माल रोड पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, भू वैज्ञानिकों ने बताई यह वजह

भू वैज्ञानिकों ने नैनीताल की ऐतिहासिक माल रोड का 25 मीटर हिस्सा झील में समाने की मुख्य वजह वाहनों का अत्यधिक दबाव तथा झील की रिटेनिंग वॉल का खोखला होना माना है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 01:04 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 01:04 PM (IST)
नैनीताल की लोअर माल रोड पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, भू वैज्ञानिकों ने बताई यह वजह
नैनीताल की लोअर माल रोड पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, भू वैज्ञानिकों ने बताई यह वजह

नैनीताल, [किशोर जोशी]: झील की नगरी नैनीताल की लोअर माल रोड के धंसने से शहर पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है। 18 अगस्त को शाम पांच बजे लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा नैनी झील में समा गया और इसके बाद से अपर माल रोड पर भी वाहनों की आवाजाही बेहद कम कर दी गई। ऐसे में अब चुनौती झील के किनारे से गुजरने वाली लोअर को स्थायी रूप से रोकने एवं झील नगरी के अस्तित्व को बचाने की है। भू-वैज्ञानिकों को मानना है कि कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट (पैचवर्क) की बजाय अब इसे वीप होल (अश्रु छिद्र) व आधुनिक तकनीकी से संवारा जाए। साथ ही यहां बेतहाशा वाहनों का दबाव भी कम करना होगा।

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भू वैज्ञानिकों ने शहर की ऐतिहासिक माल रोड का 25 मीटर हिस्सा झील में समाने की मुख्य वजह वाहनों का अत्यधिक दबाव तथा झील की रिटेनिंग वॉल का खोखला होना माना है। प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक व कुमाऊं विवि भू-विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रों सीसी पंत के अनुसार ब्रिटिशकाल में लोअर माल रोड में वाहन नहीं चलाए गए। 60 के दशक के बाद अपर माल रोड पर ही वाहन चले। हालिया वर्षों में वाहनों का दबाव बढ़ा तो झील की रिटेनिंग वॉल खोखली हो गई। झील का जलस्तर घटते बढ़ते रहने से दीवारों के भीतर की मिट्टी बाहर आ गई, नतीजा यह निकला कि धंसाव होता गया और सड़क ही झील में समा गई। 

वीप होल से होगा स्थायी ट्रीटमेंट

आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों ने ग्रांड होटल के आसपास की लोअर माल रोड के ट्रीटमेंट के लिए करीब 40 करोड़ का प्रस्ताव डिजायन समेत प्रशासन को मुहैया कराया है। इस प्रोजेक्ट के तहत माल रोड में झील के सतह स्तर तक खुदाई कर पाइप डालने होंगे। जबकि रिटेनिंग वॉल में वीप होल बनाने होंगे। ताकि कच्ची पहाड़ी का पानी इन छिद्रों से बाहर रिसता रहे। पुरानी दीवारों में सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया था। अब दीवारें पुरानी भी पड़ गई हैं।

पर्यावरणविदों के दबाव में रद हुआ था एडीबी का प्रस्ताव

शहर की माल रोड समेत झील किनारे पाथ-वे बनाने के लिए एडीबी की ओर से 2016 में साढ़े चार करोड़ का प्रस्ताव मंजूर कराया गया था। इस प्रस्ताव के तहत कैनेडी पार्क से लाइब्रेरी तक झील की सुरक्षा दीवार बना दी गई थी। जबकि ग्रांड होटल के समीप की लोअर माल रोड का ट्रीटमेंट भी इस प्रोजेक्ट में शामिल था। एडीबी सूत्रों के अनुसार इस प्रोजेक्ट का पर्यावरणविदों ने विरोध किया। जिसके बाद प्रशासन को बेकफुट पर आना पड़ा। इसी प्रोजेक्ट में ग्रांड होटल से बैंड स्टेंड पाथ-वे बनना था।

2004 में ही कर दिया था आगाह

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हैरीटेज के सहयोग से किए गए अध्ययन में भू-वैज्ञानिक मनोज कुमार ने 2004 में ही आगाह कर दिया था कि लोअर माल रोड का हिस्सा खतरे की जद में है। यहां तक कि शेर का डांडा तक की पहाड़ी के ट्रीटमेंट का सुझाव भी दिया था।

एमपीएस कालाकोटी (सहायक अभियंता लोनिवि) का कहना है कि आइआइटी रुड़की द्वारा बनाए गए 41 करोड़ के प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाइपों की ग्राउंटिंग होगी। मशीन से कंक्रीट से समेत अन्य काम होंगे। गेविल दीवारें बननी हैं। लोअर व अपर माल रोड के डेंजर जोन बने 165 मीटर हिस्से का ट्रीटमेंट होना है। फिलहाल जिस स्थान में सड़क भूस्खलन से झील में समाई है, उसकी मरम्मत का कार्य तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार किया जा रहा है।

विनोद कुमार सुमन (डीएम) का कहना है कि लोअर माल रोड पर ट्रैफिक बंद है। अपर माल रोड पर एक बार में 10 छोटे चौपहिया वाहन तल्लीताल से मल्लीताल तक डेढ़ किमी कर दूरी तय करने के बाद ही भेजे जा रहे हैं। गति सीमा 20 किमी प्रति घंटा निर्धारित कर दी गई है। 

कुमाऊं कमिश्नर ने दून में डेरा डाला

नैनीताल की लोअर माल रोड का हिस्सा झील में समाने व अपर माल रोड पर भी बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रशासन व सरकार भी अलर्ट हो गई है। लोअर माल रोड के ट्रीटमेंट के लिए 58 लाख के प्रस्ताव तथा आइआइटी विशेषज्ञों की ओर से तैयार 41 करोड़ के प्रस्ताव की मंजूरी के लिए मंडलायुक्त राजीव रौतेला ने दून में डेरा डाल दिया है। उन्होंने बताया कि जल्द दोनों प्रोजेक्ट की मंजूरी मिल जाएगी। 

चार माह के लिए बंद हो सकती है माल रोड

आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों की ओर से 165 मीटर हिस्से के ट्रीटमेंट के लिए बने प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए लोअर व अपर माल रोड पर करीब चार-पांच माह के लिए यातायात बंद करना पड़ेगा। 

माल रोड के ट्रीटमेंट में सामने आई लापरवाही

सरोवर नगरी की लोअर माल रोड के ट्रीटमेंट में बारिश तो रोड़ा बनी ही थी, सोमवार को सामान की कमी की वजह से मजदूर घंटों खाली हाथ खड़े रहे। बारिश में जान जोखिम में डालकर काम कर रहे मजदूरों से काम कराना लोनिवि के लिए चुनौती बन गया है। माल रोड के ट्रीटमेंट कार्य के लिए लोनिवि द्वारा करीब 36 मजदूर लगाए गए हैं। जेई महेंद्र पाल काम्बोज काम करवा रहे हैं। एई एमपीएस कालाकोटी भी साइट पर गए। सूत्रों के अनुसार काशीपुर की फर्म ने नगद में रेता बजरी व अन्य निर्माण सामग्री देने से हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद अधिकारी सक्रिय हुए तो ड्राफ्ट में भुगतान पर सहमति बनी, तब जाकर देर शाम को माल भेजा गया। पुलिस ने लगाए डिवाइडर, शहरवासियों से मांगा सहयोग नैनीताल : लोअर माल रोड में ट्रेफिक बंद होने के बाद अपर माल रोड में बढ़ते दबाव से संभावित खतरे को देखते हुए पुलिस भी संजीदा हो गयी है। सोमवार को हनुमानगढ़ी व टूटा पहाड़ से अंतराल में दस-दस वाहन भेजे गए। एसपी सिटी हरीश सती, सीओ सिटी विजय थापा, कोतवाल विपिन पंत, एसओ राहुल राठी, एसएसआइ बीसी मासीवाल समेत अन्य पुलिस कर्मियों ने जगह-जगह वाहनों की स्पीड नियंत्रित की। साथ ही चालकों से सहयोग भी मांगा। सुबह राजभवन रोड पर वन वे ट्रैफिक को लेकर व्यापार मंडल उपाध्यक्ष कमलेश ढौंडियाल की पुलिस से बहस हुई। पुलिस द्वारा सहयोग की अपेक्षा कर उन्हें शांत किया गया। इधर, माल रोड में पुलिस ने वाहनों की गति नियंत्रण के लिए जगह-जगह अस्थाई डिवाइडर लगा दिए हैं।

लोअर माल रोड का सर्वे करेगा विशेषज्ञ दल

नैनीताल में नैनी झील के किनारे लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा ढहने के बाद यह पूरी सड़क खतरे की जद में आ गई है। इससे चिंतित राज्य सरकार ने सड़क के लगातार झील में समाने को लेकर विशेषज्ञ दल से सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला की अध्यक्षता में चार विशेषज्ञ संस्थानों के वैज्ञानिकों का दल बनाया गया है। दल में हर संस्थान से एक विशेषज्ञ को शामिल किया गया है। यह दल बुधवार सुबह नैनीताल रवाना होगा।

डॉ. पीयूष रौतेला के मुताबिक, इस दल में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान से डॉ. विक्रम गुप्ता, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से डॉ. हर्षराज वानखेड़े, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की से डॉ. डीपी कानूनगो का नाम शामिल है। जबकि भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान से किसी विशेषज्ञ का नाम देर रात तक स्पष्ट नहीं हो पाया था। उधर, इस मामले में वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम गुप्ता का कहना है कि नैनीताल में पूर्व बलिया नाला व माल रोड के ऊपर क्षेत्र में हुए भूस्खलन पर अध्ययन किया गया था। बलिया नाला टेक्टोनिक फॉल्ट पर स्थित है और इसके अलावा भी पूरा क्षेत्र संवेदनशील है। हालांकि, भूस्खलन की प्रकृति साइट के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। ऐसे में सर्वे के बाद भी पता चलेगा कि झील के पानी के दबाव के कारण लोअर माल रोड ढह रही है या ऊपरी क्षेत्र में कहीं पानी सीपेज हो रहा है। 

नैनीताल की झीलों का होगा सुंदरीकरण

नैनीताल जनपद की झीलों की दशा सुधारने को प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। कार्ययोजना के तहत नैनीताल जनपद की सभी झीलों के सुंदरीकरण के लिए आवश्यक कार्य किए जाएंगे। योजना के प्रस्तुतिकरण का कार्य जिला पर्यटन अधिकारी को सौंपा गया है। जो सोमवार 27 अगस्त को कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे। सूत्रों के मुताबिक योजना के संबंध में कुमाऊं आयुक्त काफी गंभीर है। योजना के तहत भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल और सुदूरवर्ती ओखलकांडा के हरीशताल और लोहाखाम ताल झील को भी सम्मलित किया गया है। जिसमें झीलों के किनारे किनारे सुंदरीकरण के साथ कई वाटर स्पो‌र्ट्स भी आयोजित होंगे। कार्ययोजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के साथ स्थानीय युवकों को पर्यटन के क्षेत्र से जोड़ना भी है। कार्य को संपादित करने के लिए जनपद स्तर पर गैर सरकारी संगठन, विशेषज्ञों आदि की राय भी ली जाएगी। 

ये कार्य किए जाएंगे 

-झीलों के किनारे फूल और रेलिंग आदि लगाई जाएगी

-स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाओं से उनको लाभांवित किया जाएगा

-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाटर स्पो‌र्ट्स आदि प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी।

-नए ट्रेकिंग रूट खोजे जाएंगे।

-विभिन्न पर्यटन गतिविधियों से जोड़ने के लिए युवकों को प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की जाएगी।

-छोटे छोटे जलाशयों का सुधार होगा और मत्स्य बीच भी डाले जाएंगे।

-झीलों के किनारे बैठने आदि की व्यवस्था के साथ स्ट्रीट लाइट आदि की व्यवस्था भी होगी।

सीडीओ विनीत कुमार ने बताया कि कुमाऊं आयुक्त के दिशा निर्देशन पर इस पर कार्य किया जा रहा है। इसके तहत विभिन्न गैर सरकारी संगठन, विशेषज्ञों की राय तो ली ही जाएगी। वहीं दूर क्षेत्रों में पर्यटन की संभावना भी खोजने के साथ वहां के बेरोजगार युवकों को भी योजनाओं से लाभांवित भी किया जाएगा। कार्य को भली भांति संपादित करने के लिए ग्राम प्रधानों का सहयोग भी अपेक्षित है।

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