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पहचान छिपाकर खेती कर रहा था इनामी महेंद्र, बिना फोटो के पकडऩा एसटीएफ के लिए थी चुनौती

एसटीएफ के सामने बिना फोटो महेंद्र को पकडऩा बड़ी चुनौती थी। इतना ही नहीं महेंद्र ने इस दौरान मोबाइल फोन तक का प्रयोग नहीं किया। एसटीएफ ने चुनौती को स्वीकार किया और नानकमत्ता और गेबुआ बरायल थाना रामनगर जनपद नैनीताल में अपना जाल बिछाया तो कुछ कड़ी मिली।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 11:50 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 11:50 PM (IST)
पहचान छिपाकर खेती कर रहा था इनामी महेंद्र, बिना फोटो के पकडऩा एसटीएफ के लिए थी चुनौती
महेंद्र ने अपना नाम बदल कर राजेंद्र सिंह उर्फ राजू रख लिया था। वह खेतों में काम करने लगा।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : हत्यारोपित 10 हजार के इनामी महेंद्र सिंह ने पुलिस से बचने के लिए नाम बदला, भेष बदला और खानाबदोश का जीवन व्यतीत कर खेतों में काम भी किया। तकनीक और पुरानी पुलिङ्क्षसग के बेहतर तालमेल के चलते 14 वर्ष बाद एसटीएफ ने आखिरकार महेंद्र को खोज निकाला।

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मूलरूप से ग्राम सुंदर नगर थाना नानकमत्ता निवासी महेंद्र सिंह पुत्र दलीप सिंह रामनगर में ही रह कर गार्ड की नौकरी करता था। 2008 में पिता के साथ मिलकर साथी गार्ड कालू पुत्र भीम बहादुर के सीने में गोली मारकर हत्या के बाद भाग गया। पुलिस को हत्या की वजह भी पता नहीं चल पाई। रामनगर पुलिस ने नानकमत्ता में रहने वाली उसकी मां, दादा-दादी व चाचा- चाची सहित अन्य रिश्तेदारों से संपर्क किया लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। महेंद्र हत्या के बाद पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा में रह कर पुलिस से बचता रहा। अलबत्ता परिवार के लगातार संपर्क में रहा। शातिराना तरीके से स्वजनों से मिलता। इस दौरान पंजाब में महेंद्र के पिता दलीप की मौत हो गई। एसटीएफ के हाथ मृत्यु प्रमाण पत्र भी लग गया था। महेंद्र ने अपना नाम बदल कर राजेंद्र सिंह उर्फ राजू रख लिया था। लोग राजू के नाम से ही जानते थे। वह खेतों में काम करने लगा।

इधर, एसटीएफ के सामने बिना फोटो महेंद्र को पकडऩा बड़ी चुनौती थी। इतना ही नहीं, महेंद्र ने इस दौरान मोबाइल फोन तक का प्रयोग नहीं किया। एसटीएफ ने चुनौती को स्वीकार किया और नानकमत्ता और गेबुआ बरायल थाना रामनगर जनपद नैनीताल में अपना जाल बिछाया तो कुछ कड़ी मिली। जिसके आधार पर एसटीएफ के हाथ बड़ी सफलता लग गई।

पंजाब में की गार्ड की नौकरी

हत्या के बाद महेंद्र पंजाब चला गया। अपना पहचान-पत्र भी बनाकर गार्ड की नौकरी की। वहीं पर उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद वह अपने रिश्तेदारों के यहां भरतपुर राजस्थान चला गया और बाद में हरियाणा आकर रहने लगा था।

एसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि एसटीएफ ने टास्क को चुनौती के रूप में लिया। महेंद्र की कोई फोटो व अन्य पहचान तक नहीं थी। टीम लगातार अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है।


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