मां पूर्णागिरि मेले का हुआ समापन, करीब 2.50 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, कोरोना के चलते प्रशासन ने एक माह तय की थी मेले की अवधि
सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेले का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष एक माह के लिए संचालित मेले में करीब 2.50 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। जो विगत वर्ष की अपेक्षा एक दिन में ही इतने श्रद्धालु दर्शन करते थे।
संवाद सहयोगी, टनकपुर : उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेले का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष एक माह के लिए संचालित मेले में करीब 2.50 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। जो विगत वर्ष की अपेक्षा एक दिन में ही इतने श्रद्धालु दर्शन करते थे। मेले का विधिवत समापन होते ही करीब 80 प्रतिशत दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी है। स्थानीय दुकानदारों की ही दुकानें अब बची हैं। सरकारी सुविधाओं को ठेकेदारों ने उखाडऩा शुरू कर दिया।
कोरोना महामारी के चलते गत वर्ष मां पूर्णागिरि मेले को आठ दिन बंद करना पड़ा। जिस कारण मेले पर निर्भर लोगों की आजीविका पर काफी फर्क पड़ा। लोगों की आर्थिकी व कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने मेले को इस वर्ष एक माह के लिए निर्धारित किया। 30 मार्च से शुरू हुए मेले के शुरूआती एक सप्ताह में मेले में रौनक रही लेकिन मेले का समय बढऩे के साथ ही श्रद्धालुओं की कमी आने लगी। नवरात्र में एक बार फिर मेले में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ लेकिन उसके बाद कोरोना का जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता गया वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की कमी होने लगी। श्रद्धालुओं की कमी से मेले की रौनक खत्म हो गई। शुक्रवार को मेले का विधिवत समापन हो गया।
एसडीएम व मेला मजिस्ट्रेट हिमांशु कफल्टिया ने बताया कि कोविड महमारी के तहत शासन द्वारा जारी एसओपी के तहत शुक्रवार को मेले का विधिवत समापन हो गया। मेले में लाइट, टीन शेड, पेयजल आदि सभी सरकारी सुविधाएं हटा ली गई है। मेले में पार्किंग व मुंडन के ठेके विधिवत चलते रहेंगे। कोविड निगेटिव रिपोर्ट लाने के बाद कोई भी श्रद्धालु दर्शन कर सकता है। उन्हें नहीं रोका जाएगा।
नंधौर में दिसंबर के बाद नहीं पहुंचे पर्यटक
कोरोना संक्रमण के चलते नंधौर वन सेंचुरी में भी पर्यटकों की संख्या न के बराबर है। 15 नवंबर से खुले सेंचुरी में अब तक मात्र एक हजार पर्यटक ही दर्शन को आए। विगत अप्रैल माह में एक भी पर्यटक बाहर से नहीं पहुंचा। केवल स्थानीय लोग ही सेंचुरी में घूमने आए।
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