गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण, राशियों पर दिखेगा प्रभाव NAINITAL NEWS
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर 16-17 जुलाई की रात चंद्रग्रहण होने जा रहा है। चंद्रग्रहण रात 132 बजे शुरू होगा जिसका मोक्ष तड़के 430 बजे होगा। ग्रहण की अवधि 2 घंटा 58 मिनट रहेगी।
हल्द्वानी, जेएनएन : आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर 16-17 जुलाई की रात चंद्रग्रहण होने जा रहा है। चंद्रग्रहण रात 1:32 बजे शुरू होगा, जिसका मोक्ष तड़के 4:30 बजे होगा। ग्रहण की अवधि 2 घंटा 58 मिनट रहेगी। जबकि ग्रहण का सूतक 16 जुलाई की अपराह्न 4:26 बजे से लगेगा। गुरु पूर्णिमा पूजन सूतक काल से पहले किया जाना श्रेयष्कर रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर भी असर होगा। यह चंद्रग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका में दिखाई देगा। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार भारत में दिखाई देने से यहां ग्रहण को लेकर धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाएगा। ग्रहण काल समाप्त होने पर स्नान से निवृत्त होकर राशि के अनुसार दान-कर्म करने की मान्यता है, जिससे बुरा असर कम होता है।
लगातार दूसरे साल गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण
आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा भी है। गुरु पूजन के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। 2018 में भी आषाढ़ पूर्णिमा पर खग्रास चंद्रग्रहण था। ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के अनुसार ग्रहण का सूतक लगने से पहले सभी धार्मिक अनुष्ठान कर लें।
ग्रहण काल का समय
स्पर्श मध्यरात्रि 1:32 बजे
मध्य मध्यरात्रि 3:08 बजे
मोक्ष मध्यरात्रि 4:30 बजे
राशियों पर यह रहेगा प्रभाव
मेष-यश, सम्मान। वृषभ-शारीरिक कष्ट। मिथुन-मानसिक परेशानी। कर्क-सुखकारी। सिंह-चिंता। कन्या-हानि। तुला-आर्थिक लाभ। वृश्चिक-मान हानि। धनु-विश्वासघात। मकर-आर्थिक हानि। कुंभ-लाभ। मीन-सुख।
राशि वाले यह करें उपाय
मेष : गाय को गुड़-चना खिलाएं।
वृषभ : सवा किलो चावल दान दें।
मिथुन : खड़ी मंूग दाल दान दें।
कर्क : गरीब को अन्न दान करें।
सिंह : मरीजों की सहायता करें।
कन्या : कन्या को वस्त्र दान दें।
तुला : घी दान करें।
वृश्चिक : फल दान दें।
धनु : किताब-पेन दान दें।
मकर : छाता, जूता दान दें।
कुंभ : चादर दान दें।
मीन : कन्या को उपयोगी वस्तु दान दें।
26 दिसंबर को होगा सूर्यग्रहण
पौष कृष्ण अमावस्या पर 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण होगा। यह भारत में दिखाई देगा। इसलिए ग्रहण के सूतक व मोक्ष काल के बाद धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाएगा।
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