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गायब हो गई शराब की दुकानों पर उमड़ने वाली भीड़, कारोबारियों को भारी नुकसान

प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए शराब की दुकानों को खोला गया तो हुजूम उमड़ पड़ा लेकिन दिन बीतने के साथ ही भीड़ भी कम होती गई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 04:25 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 04:25 PM (IST)
गायब हो गई शराब की दुकानों पर उमड़ने वाली भीड़, कारोबारियों को भारी नुकसान
गायब हो गई शराब की दुकानों पर उमड़ने वाली भीड़, कारोबारियों को भारी नुकसान

हल्द्वानी : प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए शराब की दुकानों को खोला गया तो हुजूम उमड़ पड़ा, लेकिन दिन बीतने के साथ ही भीड़ भी कम होती गई। वहीं शराब पर कोविड-19 टैक्स लगाए जाने के कारण महंगी होने से खरीदार वाइन शाॅपों पर बेहद कम हो गए हैं। इसके साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों के न होने और दुकान खोलने के निर्धारित समय के कारण दुकानदारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में शराब कारोबारियों ने विरोध करने का मन बनाया है। चंपावत जिले में तो कारोबारियों ने शुक्रवार शराब की दुकानों को बंद रखने का ऐलान कर दिया है। वहीं कई दुकानदार तो अब अपनी दुकानों को सरेंडर करने के मूड में हैं।

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इस वित्तीय वर्ष में शराब की दुकानों का आवंटन हो चुका है। लॉकडाउन के चलते दुकानें एक महीने देर से यानी बीते चार मई से खुलीं। पहले कुछ दिनों तो दुकानों पर शौकीनों की भारी भीड़ उमड़ी। लेकिन धीरे-धीरे भीड़ बेहदकम हो गई। कई स्थानों पर तो इक्का-दुक्का ही खरीदार पहुंच रहे हैं। ऐसे में शराब कारोबारी चिंतित हैं। सरकार द्वारा तय किए गए अधिभार को शराब कारोबारियों को हर हाल में जमा करना होता है, लेकिन बिक्री न होने के कारण दुकानदारों के पास अधिभार जमा करने तक के पैसे नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में शराब कारोबारी घाटे में जा रहे हैं।

संयुक्त आबकारी आयुक्त केके कांडपाल के मुताबिक अर्थव्यवस्था खराब होने के चलते शराब की बिक्री कम हो रही है। सूचना मिली है कि कुछ शराब कारोबारी अपनी शराब दुकानों को सरेंडर करने पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल अभी तक विभाग के पास कोई लिखित मामला सामने नहीं आया है। लिखित मामला सामने आएगा तो सरकार को अवगत कराया जाएगा।

गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के छह जिलों से संचालित होने वाली शराब की दुकानों से इस वित्तीय वर्ष में 800 करोड़ का राजस्व का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन, अभी से शराब कारोबारियों ने हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिये हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि शराब के कारोबारियों के साथ-साथ सरकार को भी शराब से खासा राजस्व का नुकसान हो सकता है।

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