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संकट में गर्भवतियों की जान, अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में प्रसव की व्यवस्था नहीं, हल्द्वानी की जा रहीं रेफर

गर्भवतियों की जिंदगी तो पहाड़ में हमेशा ही खतरे में रहती है। मेडिकल कालेज अल्मोड़ा के अलावा पिथौरागढ़ चम्पावत बागेश्वर जिलों का हायर सेंटर भी है। चारों जिलों की आबादी लगभग 18 लाख है। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मेडिकल कालेज में कोई मरीज आना नही चाहता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 05:21 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 05:21 PM (IST)
संकट में गर्भवतियों की जान, अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में प्रसव की व्यवस्था नहीं, हल्द्वानी की जा रहीं रेफर
बड़ी-बड़ी इमारतों के बीच विभिन्न सुविधाएं शुरू करने के दावें खोखले साबित हो रहे।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : करोड़ों की लागत से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए बने मेडिकल कालेज में प्रसव की सुविधा तक शुरू नहीं हो सकी है। आधुनिक तकनीकयुक्त उपकरणों से सुसज्जित कालेज में अब तक प्रसव की सुविधा शुरू नहीं होने से गर्भवतियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां न ही अब तक सिजीरियन और न ही सामन्य प्रसव की सुविधा मिल पा रही है। हाल यह है कि अब गर्भवतियों को लोगों ने बेस ले जाना ही बंद कर दिया है। गर्भवतियां एकमात्र महिला अस्पताल के सहारे हैं।

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एक तरफ महिला स्वास्थ्य के लिए गंभीर सरकार और पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की मेडिकल कालेज ने पोल खोल दी है। कालेज में लंबे समय बाद अब तक प्रसव की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। बड़ी-बड़ी इमारतों के बीच विभिन्न सुविधाएं शुरू करने के दावें खोखले साबित हो रहे हैं। लंबे समय से बंद पड़े प्रसव के चलते अब स्थानीय लोगों ने यहां गर्भवतियों को लाना ही बंद कर दिया है। हालांकि बीते दिनों यहां इमरजेंसी आॅपरेशन शुरू हुए। लेकिन प्रसव शुरू नहीं होने से गर्भवतियों की जान संकट में हैं। स्थानीय लोगों को लगातार यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया का इंतजार है। पर गर्भवतियों के लिए तक यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं हो पाती है।

18 लाख की आबादी का हायर सेंटर मेडिकल कालेज

मेडिकल कालेज अल्मोड़ा के अलावा पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर जिलों का हायर सेंटर भी है। चारों जिलों की आबादी लगभग 18 लाख है। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मेडिकल कालेज में कोई मरीज आना नही चाहता है। इन जिलों से सभी लोग हल्द्वानी और बरेली के अस्पतालों का रुख करते हैं। गर्भवतियों की जिंदगी तो पहाड़ में हमेशा ही खतरे में रहती है।

45 बेड के महिला अस्पताल के भरोसे गर्भवतियां

महिला अस्पताल में गर्भवतियों और प्रसूताओं के लिए 39 सामान्य, दो प्राइवेट और चार पेइंग वार्ड हैं। यहां चार स्त्री रोग विशेषज्ञ है। इन्हीं के हवाले जिले की आधी आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। गंभीर होने से यह भी हायर सेंटर हल्द्वानी ही रेफर करते हैं।

प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा का कहना है कि सप्ताह भर के अंदर प्रसव की सुविधा भी शुरू हो जाएगी। गर्भवतियों को यहीं बेहतर सुवधाएं मिल सकेंगी। इसके लिए पूरी तरह से प्रयास किए जा रहे हैं।


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