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पांच साल में दूसरी बार उत्‍तराखंड में सामान्य से कम हुई बारिश, देश में सामान्य से आठ फीसद अधिक

मानसून विदाई की औपचारिक घोषणा भले अभी होनी बाकी है लेकिन मानसून सीजन 30 सितंबर को बीत गया। उत्तराखंड में इस बार सामान्य से करीब एक चौथाई कम बारिश हुई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 11:57 AM (IST)
पांच साल में दूसरी बार उत्‍तराखंड में सामान्य से कम हुई बारिश, देश में सामान्य से आठ फीसद अधिक
पांच साल में दूसरी बार उत्‍तराखंड में सामान्य से कम हुई बारिश, देश में सामान्य से आठ फीसद अधिक

हल्द्वानी, गणेश पांडे : मानसून विदाई की औपचारिक घोषणा भले अभी होनी बाकी है, लेकिन मानसून सीजन 30 सितंबर को बीत गया। उत्तराखंड में इस बार सामान्य से करीब एक चौथाई कम बारिश हुई, जबकि देश में सामान्य से आठ फीसद अधिक बारिश हुई। देश के कई राज्यों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं।

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पिछले पांच साल में यह दूसरा मौका है, जब प्रदेश में सामान्य से एक चौथाई कम बारिश हुई है। कुमाऊं में बागेश्वर को छोड़कर अन्य जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इससे पहले 2015 में उत्तराखंड में सामान्य से 28 फीसद कम बारिश हुई थी। इस बार भी आंकड़ा इसी के आसपास है। हालांकि बीच के वर्षों में भी सामान्य से कम बारिश हुई, लेकिन मौसम वैज्ञानिक इसे सामान्य वर्षा की श्रेणी में रखते हैं। मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि 19 फीसद कम व इतनी ही अधिक बारिश को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है। कम बारिश का भविष्य में प्रभाव दिखेगा।

मानसून में कब कितनी हुई बारिश 

वर्ष      बारिश       कमी 

2019    934.2       24

2018    1194.3      3

2017    1199.0      2

2016    1102.7      10

2015     881.6      28

(नोट : बारिश मिमी व कमी फीसद में। सामान्यता 1229.2 मिमी होती है बारिश)

वजह : बंगाल की खाड़ी से नहीं पहुंची नमी

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि बारिश काफी हद तक हवा व नमी पर निर्भर करती है। बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी उत्तराखंड तक नहीं पहुंची, जिससे प्रदेश में कम बारिश हुई, जबकि अच्छी नमी पहुंचने से यूपी व कई दूसरे राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बने।

चिंता : रबी की बोवाई पर पड़ेगा असर

नवंबर में रबी फसलों (गेहूं, सरसों) की बोवाई शुरू हो जाती है। कम बारिश का असर मिट्टी की नमी पर पड़ेगा। खासतौर पर पर्वतीय जिलों के किसानों को जाड़ों में होने वाली बारिश का इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में तराई में सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होगी। हालांकि रुक-रुककर हो रही बारिश से फिलहाल मिट्टी में नमी का स्तर बना हुआ है।

आशंका : विदाई की बेला में मानसून 

मानसून का सिस्टम कमजोर पडऩे लगा है। पिछले दो दिनों से तराई-भाबर में धूप निकलने से तापमान दो डिग्री बढ़ गया है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि अगले एक सप्ताह में उत्तराखंड में बारिश की संभावना कम है। किसी भी समय मानसून विदाई की घोषणा हो सकती है। हालांकि मानसून की विदाई राजस्थान से शुरू होती है। अभी वहां बारिश जारी है।


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