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कभी आंगन से बच्चों को उठा ले गए तेंदुए, तो कभी खेत में शिकार हो गईं महिलाएं

तेंदुए बेकाबू हो रहे हैं। कभी भोजन की तलाश में आबादी में पहुंचकर लोगों को निशाना बना लिया तो कभी घास लेने गई महिलाओं पर झपट्टा मारकर उन्हें मौत के नींद सुला दिया गया। आंगन में खेल रहे मासूम भी तेंदुए के हमले में जान गंवा चुके हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 11:52 AM (IST)
कभी आंगन से बच्चों को उठा ले गए तेंदुए, तो कभी खेत में शिकार हो गईं महिलाएं
कभी आंगन से बच्चों को उठा ले गए तेंदुए, तो कभी खेत में शिकार हो गईं महिलाएं

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : तेंदुए बेकाबू हो रहे हैं। कभी भोजन की तलाश में आबादी में पहुंचकर लोगों को निशाना बना लिया तो कभी घास लेने गई महिलाओं पर झपट्टा मारकर उन्हें मौत के नींद सुला दिया गया। आंगन में खेल रहे मासूम भी तेंदुए के हमले में जान गंवा चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले डेढ़ साल में दमुवाढूंगा से लेकर ज्योलीकोट तक 20 किमी के दायरे में ही छह लोगों की जान तेंदुए के हमले में जा चुकी है। 10 से अधिक घायल हुए हैं। रानीबाग के आसपास तेंदुए का नजर आना आम बात हो चुकी है। इन घटनाओं से वन विभाग हैरान और लोग गुस्से में हैं। गुस्सा इसलिए कि घटना के बाद सिर्फ दिखावे के लिए 2-4 दिन की गश्त होती है। इंसानों की मौत पर महकमे की संवेदना सिर्फ चार लाख रुपये मुआवजा है।

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जून 2020 से दमुवाढूंगा से लेकर ज्योलीकोट तक गुलदार का आतंक लगातार बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों का जंगल फतेहपुर और मनोरा रेंज में आता है। खास बात यह है कि जून और जुलाई 2020 में जिन दो महिलाओं को गुलदार ने मारा, वह रहने वाली रानीबाग ग्राम पंचायत की थीं। मगर एक घटनास्थल फतेहपुर और दूसरा मनोरा रेंज में आता था। इसके बाद गुलदार को नरभक्षी घोषित कर शिकारी भी बुलाए गए। शिकारी ने एक गुलदार को गोली भी मारी। लेकिन घायल होने के बावजूद वह जंगल में भाग गया। कई दिनों तक उसकी तलाश में जंगल छाना गया, मगर कुछ पता नहीं चला। वहीं, दिसंबर में दमुवाढूंगा निवासी एक अन्य महिला लीला लटवाल भी घास लेने दमुवाढूंगा के पास जंगल में गई थी। गुलदार ने उस पर भी हमला किया था, मगर उसने हिम्मत दिखाकर दराती घुमाई और खुद की जान बचा ली। हालांकि, हमले से लीला के सिर पर गंभीर चोट आई थी।

रानीबाग और दमुवाढूंगा के लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में गुलदारों का घरों के पास तक आना और कुत्तों और मवेशियों को निवाला बनाना अब आम बात हो गई है। रेंज से लेकर डिवीजन तक शिकायत की गई, मगर अफसर सुनने को तैयार नहीं है। पीडि़त परिवार को सांत्वना देने कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया समेत अन्य लोग भी पहुंचे थे।

गुलदार के इन हमलों ने डराया

  • 23 जून 2020 को रानीबाग ग्राम पंचायत के सुनकोट में महिला का मारा।
  • 11 जुलाई 2020 को गौला बैराज के पार महिला की जान गई।
  • 8 अक्टूबर 2021 को ज्योलीकोट के मटियाल में ढाई साल के मासूम को मारा।
  • 16 नवंबर 2021 को ज्योलीकोट के डांगर में पांच साल के मासूम की जान ली।
  • नौ दिसंबर 2021 को दमुवाढूंगा से सटे जंगल में युवक को मौत के घाट उतारा।
  • 13 जनवरी 2022 को टंगर निवासी नंदी की गुलदार के हमले में जान चली गई।

ढाई माह में सात गुलदार पकड़े

ज्योलीकोट में मासूमों पर हुए हमले के बाद हर बार वन विभाग की टीम ने गुलदार को पकडऩे के लिए पिंजड़ा लगाया। ढाई माह के भीतर सात गुलदार नैनीताल वन प्रभाग की मनोरा रेंज ने पकड़ लिए, जिन्हें जू और रेस्क्यू सेंटर में रखा गया। नाखून उखडऩे, दांत टूटने आदि वजहों से सभी गुलदार आबादी के आसपास भोजन के चक्कर में पहुंचे थे। यानी शिकार करने में अक्षम हो चुके थे।

काश! साथी साथ होते तो बच जाती जान

नंदी देवी अक्सर पड़ोस की किसी न किसी महिला के साथ जंगल में घास लेने जाती थी, मगर गुरुवार सुबह वह अकेले निकल गईं। लापता होने के बाद जब ग्रामीण और वन विभाग की टीम उसे ढूंढने को पहुंची तो रास्ते में पहले खून के छींटे और चप्पल मिली। इससे 100 मीटर दूरी पर महिला का शव मिला। यानी खुद को बचाने के लिए नंदी ने काफी संघर्ष भी किया। उसके बाद भी गुलदार उसे घसीट कर ले गया। घर पहुंची महिलाओं के बीच यह चर्चा आम थी कि अगर साथ में कोई होता तो नंदी बच सकती थी। उसका संघर्ष कामयाब हो जाता। अपने सरल व्यवहार के लिए जाने वाली नंदी की मौत से हर किसी की आंखें नम दिखीं।

सुमित ने अफसरों पर उठाए सवाल

मृतका नंदी देवी कांग्रेस नेत्री कमला सनवाल की देवरानी हैं। घटना के बाद परिवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस पब्लिसिटी कमेटी के अध्यक्ष सुमित हृदयेश ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. पराग मधुकर धकाते को फोन पर घटना से अवगत कराने के साथ डिवीजन और रेंज के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े किए। कहा कि लगातार हो रही घटनाओं से स्थानीय लोगों के अलावा उन्होंने भी पूर्व में डीएफओ रामनगर से बात कर लोगों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था, मगर किसी ने कुछ नहीं किया। गुलदारों के हमले से हो रही मौतें महकमे की लापरवाही का नतीजा है।


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