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उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : यहां डिजिटल इंडिया से नहीं जुड़ने का खामियाजा भुगत रहे नेताजी

उत्तराखण्ड चुनाव 2022 नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में लोग हैलो हाय करने के लिए तरस चुके हैं। मुनस्यारी और धारचूला तहसील के सीमा से दूर स्थित गांव भी संचार सुविधा से वंचित हैं। नेपाल सीमा से लगी जिले की तीन विधान सभा सीटें पिथौरागढ़ डीडीहाट और धारचूला हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 08:53 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 08:53 AM (IST)
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : यहां डिजिटल इंडिया से नहीं जुड़ने का खामियाजा भुगत रहे नेताजी
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में लोग हैलो हाय करने के लिए तरस चुके हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : कोविड के चलते इस बार का चुनाव प्रचार सोशल साइट से अधिक चल रहा है। सीमांत जिले के संपूर्ण भू भाग के अभी तक डिजिटल इंडिया से नहीं जुडऩे का खामियाजा अब सबसे अधिक नेताजी भी भुगत रहे हैं। कोविड के चलते मतदाताओं तक पहुंचना आसान नहीं है। संचार सुविधा नहीं होने से सोशल साइटों पर भी चुनाव प्रचार संभव नहीं हैं।

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नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में लोग हैलो हाय करने के लिए तरस चुके हैं। चीन सीमा से लगे गांव अभी भी संचार सुविधा से वंचित हैं। मुनस्यारी और धारचूला तहसील के सीमा से दूर स्थित गांव भी संचार सुविधा से वंचित हैं। नेपाल सीमा से लगी जिले की तीन विधान सभा सीटें पिथौरागढ़, डीडीहाट और धारचूला हैं। सीमा पर इस साल के पहले दिन से ही संचार सेवा बदहाल है। सीमा पर संचार सेवा सही रहने पर भी टावरों के सिग्नल कमजोर होने से नेट कम चलता है। नेपाली सिम को भारतीय उपभोक्ता आपातकाल में प्रयोग में लाते हैं। नेपाल के सिग्नलों से फोन चलाना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए जेब ढीली करना जैसा ही है।

इस परिस्थिति में नेताजी अपनी बात सोशल साइट से मतदाताओं तक पहुंचाने में विफल हैं। साथ ही यह संकट सियासी दलों को हकीकत का आइना भी दिखा रहा है। मुनस्यारी तहसील का तल्ला जोहार से लगा कोटा पंद्रहपाला से लेकर बांसबगड़ घाटी के कई गांव अभी भी संचार से विहीन हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन के चलते अधिकाश मतदाता वृद्ध और महिलाएं हैं।

कुछ प्रतिशत युवा महिलाओं के पास ही स्मार्ट फोन हैं। अधिकांश बुजुर्ग व महिलाएं साधारण फोन से काम चलाते हैं। बुजुर्ग केवल घर से बाहर रहने वाले स्वजनों की कुशल क्षेम पूछने और बताने भर के लिए फोन का प्रयोग करते हैं। कुल मिलाकर गांवों में चालीस प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जो स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करती हंै। इस तरह के हालात मेंं प्रत्याशियों के लिए सभी मतदाताओं तक पहुंच पाना नामुमकिन बना है।


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