कोमलांगी सिया प्यारी तू कहां, ढूंढता फिरता हूं तुझको मैं यहां..
जासं हल्द्वानी रामलीला मैदान की वर्चुअल रामलीला में गुरुवार को सीता हरण राम-सुग्रीव मित्रता बाली वध से लेकर लंका दहन तक का मंचन किया गया।
जासं, हल्द्वानी : रामलीला मैदान की वर्चुअल रामलीला में गुरुवार को सीता हरण, राम-सुग्रीव मित्रता, बाली वध से लेकर लंका दहन तक का मंचन किया गया। सीता के लिए व्याकुल श्रीराम पशु-पक्षी, वृक्ष-लताओं से सीता का पता पूछते हैं। कहते हैं, कोमलांगी सिया प्यारी तू कहां, ढूंढता फिरता हूं तुझको मैं यहां। मृग विपिन में जो विचरते हो यहां, वैदेही मेरी तुमने देखी हो जहां।
मार्मिक प्रसंग को वर्चुअल माध्यम से दर्शकों ने घरों में देखा। सीता खोज में निकले श्रीराम, लक्ष्मण को घायल जटायु मिलता है। श्रीराम उसकी दशा देखकर प्रश्न करते हैं। जटायु कहता है नाथ दशानन यह गति कीन्हीं, तेहि खल जनक सुता हर लीन्हीं। ले दक्षिण दिशा गयेउ गुसाई, विलपति अति कुररी की नाई। शबरी के जूठे बेर खाने के बाद दोनों भाई शबरी के बताए अनुसार पंपापुर की तरफ बढ़े हैं। ब्राह्माण रूप में पहुंचे हनुमान श्रीराम से कहते हैं, को तुम श्यामल गौर शरीरा, क्षत्रिय रूप फिरहु वनवीरा। कठिन भूमि कोमल पदगामी, कवन काज वन विचरहु स्वामी..। बाली वध, सीता खोज में निकले हनुमान के लंका जलाने तक की लीला का मंचन किया गया। गौलापार में सीता हरण का मंचन
आदर्श रामलीला कमेटी कुंवरपुर में सूर्पणखा की नाक काटने, खर-दूषण वध की लीला का मंचन किया गया। नाक कटाकर रावण के पास पहुंची सूर्पणखा कहती है, अवध नृपति दशरथ के जाए, पुरुष सिंह वन खेलन आए। सीता हरण के साथ छठे दिन की रामलीला का समापन हुआ। संगीतज्ञ भगवत फत्र्याल के निर्देशन में छोटे पात्र सुंदर अभिनय कर रहे हैं।