मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर सड़क के मलबे से गोरी नदी के पास बनी झील, स्थानीय लोगों में दहशत
मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर मुनस्यारी से करीब 14 किमी दूर पातों को जाने वाले मार्ग के पास लीलम के निकट निर्माणाधीन सड़क के मलबे से गोरी नदी पर झील बन चुकी है। झील का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। जिससे खतरा बना हुआ है।
मुनस्यारी, संवाद सूत्र : मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर मुनस्यारी से करीब 14 किमी दूर पातों को जाने वाले मार्ग के पास लीलम के निकट निर्माणाधीन सड़क के मलबे से गोरी नदी पर झील बन चुकी है। झील का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। जिससे खतरा बना हुआ है। नदी किनारे रहने वाले लोग भयभीत हैं।
लीलम से लगभग आधा किमी दूर ओपी नामक स्थान पर निर्माणाधीन मुनस्यारी-मिलम मार्ग और पातों मार्ग का मलबा गोरी नदी में डाला जाता है। मलबे में विशाल बोल्डर होने से इस स्थान पर गोरी नदी का प्रवाह प्रभावित होने से ताल बन चुकी है। ताल का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसे लेकर नदी किनारे स्थित गांवों को खतरा बढ़ रहा है। पार्तो के पूर्व सरपंच प्रह्लाद सिंह ने इसकी सूचना बुधवार को तहसील प्रशासन को दे दी है।
गोरी नदी मिलम ग्लेशियर से निकलने वाली विशाल सदावाहिनी नदी है। वर्तमान समय नदी के जलस्तर बढऩे का है । उच्च हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने से नदी का जलस्तर ग्रीष्मकाल में काफी अधिक हो जाता है और नदी उफान पर आ जाती है। इस वर्ष नदी के जल में अभी तक हल्की बढ़ोत्त्तरी हुई है। गर्मी बढ़ते ही ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे और नदी का जलस्तर काफी अधिक बढ़ जाएगा। ऐसे में ताल के फटने पर नदी किनारे की बस्तियों को खतरा हो सकता है। इस स्थान से नीचे भदेली, मदकोट, सेराघाट, बंगापानी, बरम, जौलजीबी आते हैं। जौलजीबी में गोरी नदी काली नदी में मिल जाती है।
गोरी नदी में मानसून काल में जुलाई, अगस्त माह में बरम के निकट गोरी, लुम्ती के पास भारी भूस्खलन होने से बनी ताल का पानी अभी पूरी तरह नहीं निकला है और अब उच्च हिमालय के प्रवेश द्वार में भी ताल बनने से खतरा बन चुका है। ग्लेशियर पिघलने के बाद गोरी नदी के उफान पर आते ही दोनों तालों के जल के फटने पर खतरा बढ़ सकता है। तहसील प्रशासन ने राजस्व दल को मौके पर जाकर स्थिति का पता लगाने के आदेश दिए हैं।
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