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Pravasi Bharatiya Divas : बागेश्वर के कोरंगा ने दुबई में बनाई पहचान, संस्कृति संरक्षण को 14 हजार प्रवासियों को जोड़ा

कोरंगा वर्ष 1993 में दुबई चले गए थे। शुरुआत में सामान्य नौकरी की लेकिन धीरे-धीरे कड़ी मेहनत व लगन से मुकाम हासिल किया। इस समय वह एक प्रतिष्ठित कंपनी में प्रबंध निदेशक हैं। बड़ा ओहदा हासिल करने के बाद भी वह अपने क्षेत्र को नहीं भूले।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 06:44 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 09:09 AM (IST)
Pravasi Bharatiya Divas : बागेश्वर के कोरंगा ने दुबई में बनाई पहचान, संस्कृति संरक्षण को 14 हजार प्रवासियों को जोड़ा
वह प्रत्येक वर्ष दुबई में उत्तराखंड म्यूजिकल नाइट का आयोजन करते हैं।

बागेश्वर, चंद्रेशखर द्विवेदी। जब कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो मुकाम हासिल करना नामुमिकन नहीं रह जाता। सफल होने व विदेश में रहने के बावजूद माटी की महक महसूस होती रहे तो फिर बात ही क्या। ऐसे ही शख्स हैं देवेंद्र कोरंगा, जिन्होंने 28 वर्षों से दुबई में रहते हुए अपनी अलग पहचान बना ली है।

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गरुड़ तहसील के लौबांज गांव के देवेंद्र सिंह कोरंगा वर्ष 1993 में दुबई चले गए थे। शुरुआत में सामान्य नौकरी की, लेकिन धीरे-धीरे कड़ी मेहनत व लगन से मुकाम हासिल किया। इस समय वह एक प्रतिष्ठित कंपनी में प्रबंध निदेशक हैं। बड़ा ओहदा हासिल करने के बाद भी वह अपने क्षेत्र को नहीं भूले। उन्हें लगा कि दुबई में रहते हुए ही कुछ ऐसा किया जाए, जिससे उत्तराखंड की पहचान और आगे बढ़ सके। वह छत्तीसगढ़ के एक परिवार से प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड एसोसिएशन बनाया।

दुबई में उत्तराखंडियों को किया एकजुट

फोन से हुई बातीचत में कोरंगा बताते हैं कि वर्ष 2007 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सतपाल महराज दुबई आए थे। तब उत्तराखंड एसोसिएशन की रूपरेखा तय की गई। एसोसिएशन का संविधान तय किया गया। इस समय दुबई में रहने वाले 14 हजार उत्तराखंडी इसके सदस्य हैं। वहां पर व्यवसाय करने वाले 15 उत्तराखंडी भी इसके सक्रिय सदस्य हैं।

लोक कलाकारों की सजाते हैं महफिल

कोरंगा बताते हैं कि वह प्रत्येक वर्ष दुबई में उत्तराखंड म्यूजिकल नाइट का आयोजन करते हैं। इसमें कुमाऊं और गढ़वाल के गायक और कलाकारों को बुलाया जाता है। यह आयोजन 2005 करा रहे हैं।

500 लोगों की कर चुके हैं मदद

उन्होंने उत्तरांचल कल्चरल संस्था व कत्यूरी सभा भी बनाई है। इस संस्था के जरिये वह कुमाऊं और गढ़वाल में विधवा, अनाथ और असहाय की मदद करते हैं। अब तक वे 500 से अधिक ऐसे लोगों की मदद कर चुके हैं। कौसानी, लौबांज की माटी उन्हें हर साल गांव बुलाती है। वह देव मंदिरों में पूजा अर्चना कर लौट जाते हैं।


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