जानिए क्यों सरकारी कर्मचारी अचानक आयुष्मान स्वास्थ्य योजना से हटवाने लगे अपना नाम
बीते दो माह से इस योजना का लाभ ले चुके सरकारी कर्मचारी व पेंशनर इससे तेजी से अलग हो रहे हैं। स्थिति यह है कि जिन स्थानों पर आयुष्मान कार्ड में पंजीकरण के लिए लोग लाइन लगा रहे थे अब वह योजना से अलग होने का आवेदन कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : लोगाें की स्वास्थ्य सुविधा के लिए मील का पत्थर साबित हो रही आयुष्मान स्वास्थ्य योजना को सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स के नाम के आगे से एक झटके में डिलीट कर दिया जा रहा है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी की आयुष्मान स्वास्थ्य योजना से पांच लाख रुपये तक का इलाज अस्पताल में कराया जा सकता था। इसके बाद भी लोग बहुत खुशी से आयुष्मान योजना से अलग हो रहे हैं।
उत्तराखंड में आयुष्मान स्वास्थ्य योजना का लाभ प्रत्येक सदस्य को दिया जा रहा है। जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों ने राहत की सांस ली है। पर बीते दो माह से इस योजना का लाभ ले चुके सरकारी कर्मचारी व पेंशनर इससे तेजी से अलग हो रहे हैं। स्थिति यह है कि अस्पताल सहित जिन स्थानों पर आयुष्मान कार्ड में पंजीकरण के लिए लोग लाइन लगा रहे थे, अब वह योजना से अलग होने का आवेदन कर चुके हैं।
दरअसल, इसकी बड़ी वजह उत्तराखंड सरकार की राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना है। इसमें सरकारी कर्मचारी, निगम व निकाय कर्मचारी, पेंशनर आदि तथा उनके आश्रित नई योजना से जुड़ रहे हैं। इसके लिए आयुष्मान योजना से नाम अलग करने के बाद ही नई योजना का लाभ मिलना है। इसमें जुड़ने पर उन्हें दस लाख का फायदा हो रहा है। आयुष्मान योजना में मात्र पांच लाख रुपये सालाना ही इलाज की सीमा है, जबकि राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत यह सीमा 15 लाख रुपये सालाना है। राज्य कर्मचारियाें के लिए यह अनिवार्य भी है।
ऊधमसिंह नगर में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का कार्य देख रहे एसीएमओ डॉ. अविनाश खन्ना ने बताया कि लोगोें को आयुष्मान से अलग करके राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़ा जा रहा है। जिसमें सालाना 15 लाख रुपये तक का इलाज कराया जा सकता है। ऐसे में कर्मचारियों व उनके आश्रितों की संख्या कई लाख है। जिनका आयुष्मान कार्ड डिलीट कर दिया जा रहा है।