Cloud Burst : बादल आखिर फटते क्यों हैं? पहाड़ों में ही इस तरह की घटनाएं अधिक क्यों होती हैं? जानिए सबकुछ
Cloud Burst पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में बादल फटने से जनहानि हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं कमोवेश हर साल होती हैं। इसमें असामयिक कई लोग काल के गाल में जाते हैं। ऐसी घटनाओं से दिमाग में सवाल उभरता है कि बादल आखिर फटते क्यों हैं?
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Cloud Burst : पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में बादल फटने से जनहानि हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं कमोवेश हर साल होती हैं। इसमें असामयिक कई लोग काल के गाल में जाते हैं। ऐसी घटनाओं से दिमाग में सवाल उभरता है कि बादल आखिर फटते क्यों हैं? पहाड़ों में ही इस तरह की घटनाएं अधिक क्यों होती हैं? इससे बचाव या जान-माल के नुकसान को कम करने के क्या उपाय हैं? आदि सभी जरूरी सवालों के जवाब तलाशनी यह खास रिपोर्ट।
किसे कहते हैं बादल फटना
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि किसी स्थान पर एक घंटे के दौरान यदि 10 सेमी यानी 100 मिमी से अधिक बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहा जाता है। इस तरह एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश हो जाना बादल फटना कहलाता है। इसे क्लाउडबस्र्ट या फ्लैश फ्लड भी कहा जाता है। भारत मौसम विज्ञान केंद्र के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि मानसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के संपर्क में आती है तब बहुत बड़े आकार के बादलों का निर्माण होता है। ऐसा स्थलाकृति या पर्वतीय कारकों के चलते भी होता है। हिमालयी क्षेत्रों में यह घटनाएं अधिक होती हैं।
कब फटते हैं बादल
मौसम विज्ञानी बिक्रम सिंह बताते हैं कि बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी नमी वाले बादल एक जगह ठहर जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व जाता है और अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटना आमतौर पर गरज के साथ होता है।
पहाड़ में इसलिए फटते हैं बादल
डा. आरके सिंह बताते हैं कि पानी से भरे बादल पहाड़ों में फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढऩे देती। वाष्प से भरे बादलों का एक साथ घनत्व बढ़ जाने से एक क्षेत्र के ऊपर तेज बारिश होने लगती हैं। पहाड़ों पर ढलान होने से पानी तेजी से नीचे की तरफ आता है। रास्ते में जो भी आता है उसे अपने साथ बहा ले जाता है।
सतर्कता से कम किया जा सकता है नुकसान
कुछ सतर्कता व सावधानी से बादल फटने से होने वाली नुकसान को कम किया जा सकता है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) के अनुसार लोगों को घाटियों की बजाय सुरक्षित जगहों को घर बनाने के लिए चुनना चाहिए। ढलान पर मजबूत जमीन वाले क्षेत्रों में रहना चाहिए। जहां जमीन दरक गई हो, वहां बारिश का पानी घुसने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। अवैज्ञानिक तरीके से होने वाला निर्माण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। मौसम विज्ञानी बिक्रम सिंह कहते हैं कि बादल फटने का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता, लेकिन बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी कर सकते हैं। लोगों व प्रशासन को इस तरह के अलर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए।
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