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हार्इकोर्ट का बड़ा फैसला, इन क्षेत्रों में किन्नरों को भी दिया जाए आरक्षण

हार्इकोर्ट का कहना है कि स्कूल में दाखिले और सरकारी नौकरियों में किन्नरों को भी आरक्षण दिया जाए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 11:30 AM (IST)
हार्इकोर्ट का बड़ा फैसला, इन क्षेत्रों में किन्नरों को भी दिया जाए आरक्षण
हार्इकोर्ट का बड़ा फैसला, इन क्षेत्रों में किन्नरों को भी दिया जाए आरक्षण

नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने स्कूलों में दाखिले व सरकारी नौकरियों में किन्नरों को आरक्षण देने के लिए सरकार को छह माह में योजना तैयार करने के आदेश दिए हैं। साथ ही किन्नरों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए मुख्य धारा में शामिल करने व उनके लिए आवास की  व्यवस्था करने को भी कहा है। कोर्ट ने किन्नरों को स्नातक-स्नातकोत्तर में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देने व उनकी आर्थिक मदद का भी आदेश दिया है।

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दरअसल, देहरादून निवासी किन्नर रजनी रावत ने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उनका कहना था कि 1996 में विरासत में मिली देहरादून की गद्दी की वजह से वह वसूली करती आई है, मगर हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किन्नर शहर में आकर उनके नाम से वसूली कर रहे हैं। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई। उन्होंने देहरादून एसएसपी को मांग पत्र देकर बाहरी किन्नरों को हटाने की मांग की थी, मगर उन्हें नहीं हटाया गया। आरोप लगाया कि बाहरी किन्नर अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं। 

शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की किन्नर रजनी रावत व रानो तथा अन्य को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश एसएसपी देहरादून को दिए। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों से किन्नर समुदाय का रिकार्ड रखने को कहा है, ताकि समाज में कोई भेदभाव न हो सके और दूसरे व्यक्तियों की तरह इन्हें भी समान अधिकार प्राप्त हों।

कोर्ट ने ये भी दिए निर्देश

-किन्नरों को निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा मिले, उन्हें सार्वजनिक स्थान जिसमें खेल मैदान, सड़कें, शिक्षण संस्थान, बाजार, अस्पताल, होटल पर आने-जाने की छूट हो। सरकार किन्नरों के लिए सरकारी इमारतों, बस स्टेशन में छह माह के भीतर अलग शौचालय बनाए। सरकार किन्नर वेलफेयर बोर्ड का गठन करते हुए इसमें किन्नरों को भी प्रतिनिधित्व दे।

सभी जिलाधिकारी किन्नरों का पंजीकरण करें और यह सुनिश्चित करें कि किन्नर किसी बच्चे को उसके माता-पिता की अनुमति के न ले जाएं। कोर्ट ने साफ किया है कि किन्नर बच्चा अगर पैदा होता है तो उसे जुदा न किया जा सके, इसके लिए तीन माह में उचित नियम व कानून बनाया जाए। बिना माता-पिता की अनुमति के बच्चे को ले जाने वाले के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो। जिस परिवार में ऐसे बच्चे पैदा होते हैं, उन्हें सरकार आर्थिक सहायता दे। सरकारी योजनाओं में किन्नरों को भी अवसर प्रदान किया जाए

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