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दीक्षा समारोह में खादी होगा ड्रेस कोड, यूजीसी सचिव ने उच्च शिक्षण संस्थानों को जारी किए निर्देश

उच्च शिक्षण संस्थानों के दीक्षा समारोह में अब खादी के परिधानों का इस्तेमाल होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में निर्देश जारी किए है

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:58 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 09:14 AM (IST)
दीक्षा समारोह में खादी होगा ड्रेस कोड, यूजीसी सचिव ने उच्च शिक्षण संस्थानों को जारी किए निर्देश
दीक्षा समारोह में खादी होगा ड्रेस कोड, यूजीसी सचिव ने उच्च शिक्षण संस्थानों को जारी किए निर्देश

हल्द्वानी, जेएनएन : उच्च शिक्षण संस्थानों के दीक्षा समारोह में अब खादी के परिधानों का इस्तेमाल होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि दीक्षा समारोह सहित अन्य विशेष अवसरों के लिए निर्धारित समारोह में परिधान के लिए खादी व अन्य हथकरघा कपड़ों का उपयोग किया जाए।

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विश्वविद्यालयों को अपने से संबद्ध कॉलेजों में भी यह व्यवस्था लागू करानी होगी। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है कि संस्थानों में खादी को अपनाने के लिए कार्यवाही करें, ताकि खादी, सूत कातने वालों और बुनकरों को प्रोत्साहन मिले। गौरतलब है कि पूर्व में कई बार शिक्षाविद व दीक्षा समारोह के अतिथि गाउन का विरोध कर भारतीय पहनावे को बढ़ावा देने की वकालत कर चुके हैं।

कुमाऊंनी परिधान में हुआ था पिछला समारोह

दीक्षा समारोह में गाउन का विरोध होने के बाद कई संस्थानों ने भारतीय परिधान कुर्ता-पायजामा, साड़ी आदि को ड्रेसकोड के रूप में शुरू किया है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत की पहल पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के पिछले दीक्षा समारोह में डिग्रीधारी कुमाऊंनी परिधानों में नजर आए थे। सभागार को ऐपण, लोक चित्रकला से सजाया गया था।

बुनकरों को मिलेगा प्रोत्साहन : पंत

हल्द्वानी क्षेत्रीय गांधी आश्रम के सचिव सतीश चंद्र पंत कहते हैं कि उच्च शिक्षण संस्थानों के समारोह में खादी व अन्य हथकरघा उत्पादों का इस्तेमाल होने से बुनकरों को प्रोत्साहन मिलेगा। दूसरे लोग भी खादी अपनाने की तरफ प्रेरित होंगे।

पिछली सरकार ने भी दिया था बढ़ावा

पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी पारंपरिक भारतीय परिधान पहनने के विचार को बढ़ावा दिया था और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे कुछ संस्थानों ने पिछले साल इसे लागू भी किया था। पिछले साल आईआईटी रुड़की, बॉम्बे और कानपुर ने भी पारंपरिक भारतीय पोशाक साड़ी और कुर्ता-पायजामा को अपने यहां के दीक्षांत समारोह के लिए ड्रेस कोड बनाया था। यहां तक ​​कि जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने इस वर्ष की शुरुआत में अपना दीक्षांत समारोह आयोजित किया, तो कई वर्षों के अंतराल के बाद छात्रों को साड़ी और कुर्ते में देखा गया। भाजपा के अलावा, कांग्रेस सरकार भी दीक्षांत समारोह में पश्चिमी वेशभूषा के खिलाफ थी। 2010 में यूपीए के मंत्री जयराम रमेश ने पश्चिमी दीक्षांत समारोह को ‘उपनिवेशवाद का बर्बर स्मृति चिन्ह’ करार दिया था। भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के सातवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा था कि ‘मैं आजादी के 60 वर्षों के बाद भी यह पता नहीं लगा पाया कि हम इन ‘उपनिवेशवाद के बर्बर स्मृति चिन्हों’ तक खुद को क्यों सीमित किए हुए हैं।

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