22 साल बाद मिला न्याय, हाईकोर्ट ने सरकार से वीआरएस राशि भुगतान को कहा
याचिकाकर्ता के अनेकों बार प्रत्यावेदन के बावजूद उसे वीआरएस का लाभ नहीं दिया गया फिर मजबूर होकर जुलाई 2018 में उसने कोर्ट में याचिका दाखिल की।सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने याचिकाकर्ता को वीआरएस का लाभ तीन महीने के भीतर दिए जाने का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को वीआरएस की राशि का तीन माह के भीतर भुगतान करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता को वीआरएस लेेने के 22 साल बाद भुगतान का मार्ग प्रशस्त हुआ है। बागेश्वर निवासी बहादुर सिंह परिहार ने याचिका दायर कर कहा था कि वह 1991 में बागेश्वर में हिल्ट्रान व कुमाऊं मंडल विकास निगम केसंयुक्त उपक्रम कुमट्रोन में हेल्पर के पद पर नियुक्त होने के बाद 1993 में नियमित हुआ। 11 कर्मचारियों को कंपनी बंद होने के बाद 1998 से वेतन नहीं दिया गया। पांच नवंबर 2016 को सरकार ने छह कर्मचारियों के अन्य विभागों में समायोजन का निर्णय लिया, जबकि याचिकाकर्ता समेत पांच कर्मचारियों का न तो समायोजन किया गया, न ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का लाभ दिया गया।
नवंबर 2016 में सरकार व कंपनी के उच्च अधिकारियों के बीच हुई बैठक में सैद्धांतिक सहमति बनी कि छंटनीशुदा शेष पांच कर्मचारियों को 31 जून 2016 को कट आफ डेट मानते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जाय, परंतु याचिकाकर्ता के अनेकों बार प्रत्यावेदन के बावजूद उसे वीआरएस का लाभ नहीं दिया गया, फिर मजबूर होकर जुलाई 2018 में उसने कोर्ट में याचिका दाखिल की। सरकार ने अक्टूबर 2018 में जबाब दाखिल किया कि वीआरएस का लाभ देने की प्रक्रिया गतिमान है। वहीं, पिछली सुनवाई में बताया कि 30 सितंबर 2020 को राज्यपाल ने पांच कर्मचारियों को वीआरएस का लाभ देने की स्वीकृति दे दी है। सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को वीआरएस का लाभ तीन महीने के भीतर दिए जाने का आदेश देकर याचिका निस्तारित कर दी।