बढ़ते प्रदूषण पर जापानी वैज्ञानिक डॉ. हितोसी तमिमोटो ने जताई चिंता, कहा - वायु प्रदूषण पर नियंत्रण भारत के लिए बड़ी चुनौती nainital news
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। जापान के मशहूर वैज्ञानिक डॉ. हितोसी तमिमोटो ने जागरण के साथ मुलाकात में यह विचार व्यक्त किए।
रमेश चंद्रा, नैनीताल। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। नवीन तकनीक व ठोस योजनाओं के जरिये इस समस्या का अगले दस साल में हल करने में कामयाब हो सकता है। इंटरनेशनल ग्लोबल एटमोस्फेयर केमिस्ट्री प्रोजेक्ट सह अध्यक्ष जापान के मशहूर वैज्ञानिक डॉ. हितोसी तमिमोटो ने जागरण के साथ मुलाकात में यह विचार व्यक्त किए।
एरीज की ओर से आयोजित कार्यशाला में पहुंचे प्रो. हितोसी ने कहा कि वायु प्रदूषण की श्रेणी में एशियाई देशों में चीन के बाद भारत का नंबर आता है। चीन ने इस समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए कई प्रयोग शुरू कर दिए है। स्वास्थ्य के लिहाज से यह समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। हर वर्ष लाखों लोगों की अकाल मृत्यु होने लगी हैं। कैंसर व अस्थमा जैसे घातक रोग इस समस्या के कारण पनप रहे हैं। भारत व चीन के बाद इंडोनेशिया वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। इंडोनेशिया में जंगलों की आग इसका प्रमुख कारण है। खाड़ी देशों में यह समस्या बहुत कम है। यह समस्या विकाशसील देशों में सबसे अधिक हैं। संसाधनों को जुटाने के लिए वायु प्रदूषण होना लाजिमी हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए नवीनतम तकनीक व उपकरणों को प्रयोग में लाना होगा। इसके अलावा लोगों में जागरूकता लानी होगी।
एरीज ने उड़ाया रेडियो सोंड बैलून
एरीज की वायु प्रदूषण पर चल रही कार्यशाला के दौरान रेडियो सोंड बैलून आसमान में उड़ाया गया। कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ. मनीष नाजा ने बताया कि यह बैलून आसमान में 30 किमी की ऊंचाई तक जाकर ओजोन की मात्रा का पता लगाएगा। इसके अलावा आसमान की अलग-अलग ऊंचाई पर तापमान का पता लगाएगा। हवा की गति व दिशा के साथ नमी के आंकड़े प्रदान करेगा। बैलून लांच करने में एरीज समेत एशियाई देशों के सभी वैज्ञानिक शामिल हुए।
जापान कर रहा है भारत की मदद
जापान के एसोसिएट प्रो. तोमोकी नाकायामा ने कहा कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जापान तकनीकी मदद दे रहा है। इस दिशा में कई तरह के उपकरण भारत को प्रदान कर रहा है। इन उपकरणों को पंजाब व हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में लगाए जाएंगे।
राज्य में लगेंगे 13 पीएम 2.5 कांपैक्ट सेंसर
आकाश प्रोजेक्ट के तहत आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज उत्तराखंड में 13 पीएम 2.5 कांपैक्ट सेंसर लगाने जा रहा है। एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने कहा कि वायु प्रदूषण को मापने के लिए यह नवीन उपकरण हैं। इस उपकरण के जरिये प्रदूषण के सटीक आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे। इन उपकरणों को लगाने में लगभग दस लाख रुपये का खर्च आएगा। प्रदेश के उन हिस्सों में लगाए जाएंगे, जहां वायु प्रदूषण की समस्या अधिक है। यह उपकरण देश में 200 से अधिक लगाने की योजना है।
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