Coronavirus Lockdown : संकट के समय में उत्तराखंड में संभावनाओं के द्वार खोलेगा जमरानी बांध
लॉकडाउन के कारण बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां गई हैं। रिवर्स माइग्रेशन तेजी से हो रहा है। उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
हल्द्वानी, जेएनएन : लॉकडाउन के कारण बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां गई हैं। रिवर्स माइग्रेशन तेजी से हो रहा है। उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में सरकार के सामने लोगाें को रोजगार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती होगी। लेकिन यह भी सच है कि आपदा संभावनाएं लेकर भी आती है। रिवर्स माइग्रेशन कराने के लिए सरकार की तरफ से हर यत्न किए गए पर अपेक्षा के अनुरूप सफलता न मिली। जबकि लॉकडाउन के कारण अचानक से पहाड़ के सूने गांव आबाद हो गए। ऐसे में अब इन्हें रोजगार की जरूरत है। जमरानी बांध का निर्माण इस कठिन समय में रोजगार के लिए बेहतर विकल्प बनेगा। परियोजना को शुरू करने के लिए सभी बाधाएं दूर हो गई हैं। ऐसे में निर्माण कार्य शुरू होने पर इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकेगा। यह डैम पर्यटन के लिए भी अपार संभावनाएं खोलेगा।
डिजाइन व ड्राइंग के लिए 20 मई तक टेंडर आमंत्रित
लॉकडाउन के कारण शिथिल पड़ी परियोजना के लिए सिंचाई विभाग ने एक बार फिर से कवायद शुरू कर दी है। महकमे ने जीआइएफ मैपिंग व जमरानी बांध के डिजाइन व ड्राइंग के लिए 20 मई तक टेंडर आमंत्रित किए हैं। उसी दिन टेंडर खोलने की प्रक्रिया होगी। कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही एक्सपर्ट अर्थशास्त्री व पर्यावरणविद को भी प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए अप्रोच की जाएगी। इसके लिए महकमे ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। जमरानी बांध के डूब क्षेत्र का सर्वे कर लौटी टीम से भी फाइनल रिपोर्ट मांगी जा रही है।
जमरानी बांध से होने वाले फायदे
जमरानी बांध के निर्माण के दौरान हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिल सकेगा। इस डैम के निर्माण से कुमाऊं बड़ी की आबादी को सहजता से पानी की आपूर्ति हो सकेगी। फसलों की सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा। मत्स्य पालन, नौकायन, पर्यटन गतिविधियों का विस्तार होने से रोजगार के नए अवस सृजित होंगे। बांध बनने के कारण प्रभावितों का पुनर्वास भी किया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने भूमि का सर्वे भी कर लिया है। डूब क्षेत्र का सर्वे कर लौटी मैनटेक कंपनी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कुछ कमियां मिलने पर संशोधित कर फाइनल रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है। इसके अलावा फरवरी व मार्च में कराए गए काम की धनराशि भी लॉकडाउन की वजह से ठेकेदारों को नहीं मिल पायी है। इस धनराशि को स्वीकृत कराने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
जमरानी बांध एक नजर में
बांध का निर्माण 624.48 हेक्टेयर भूमि पर होना है। कुल 10 किलोमीटर में झील का निर्माण होना है जिसकी चौड़ाई एक किमी होगी। 4.5 वर्ग किमी होगा जमरानी बांध का डूब क्षेत्र और 130.6 मीटर ऊंचाई होगी। डैम का 43 फीसदी पानी सिंचाई के लिए उत्तराखंड को और 57 फीसदी पानी यूपी को मिलेगा।
इसमें कुल 208.60 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण करने की क्षमता होगी। डैम निर्माण से छह गांव प्रभावित और 120 परिवारों का होगा विस्थापन होगा। बांध से मिलने वाला पेयजल 117 एमएलडी होगा। यहां 14 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा। बांध के जलाशय से 57065 हेक्टेयर सिंचित हो सकेगी। इसके लिए विश्व प्रसिद्ध हैड़ाखान मंदिर को शिफ्ट करना पड़ सकता है। बांध निर्माण के लिए 22500 पेड़ों को काटना पड़ेगा।
जमरानी बांध पर पांच साल में ऐसे खर्च होना है बजट
पहला चरण 384.14 करोड़
दूसरा चरण 515.83 करोड़
तीसरा चरण 649.52 करोड़
चौथा चरण 649.52 करोड़
पांचवां चरण 385.09 करोड़
44 साल में 42 गुना बढ़ा जमरानी बांध का बजट
भाबर की पेयजल व सिंचाई की समस्या को देखते हुए पांच दशक पहले ही गौला नदी में बांध बनाने की जरूरत महसूस होने लगी थी। वर्ष 1975 में परियोजना के लिए गौला बैराज व नहरों का निर्माण शुरू हुआ। उस समय इसमें 25.24 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए। वर्ष 1989 में 144.84 करोड़ की डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई। इसी बीच परियोजना की स्वीकृति में वन एवं पर्यावरण की कई आपत्तियां लगती रहीं। वर्ष 2015 में परियोजना की लागत 2350 करोड़ रुपये पहुंच गई थी, जो अब 2584 करोड़ रुपये पहुंच गई है। बीते दिसंबर में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 2584 करोड़ रुपये की परियोजना को वित्तीय स्वीकृति दे दी। सिंचाई विभाग ने परियोजना निर्माण के लिए एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) से धनराशि मांगने के साथ ही उसकी ओर से दी गई शर्तों को पूरा कर लिया है।
बारिश के बाद निर्माण कार्य शुरू हाेने की संभावना
जमरानी बांध का निर्माण कार्य बारिश के बाद शुरू हाेने की संभावना है। पहले कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट का कार्य होगा। पिछले दिनों डीएम सविन बंसल के साथ परियोजना क्षेत्र के दौरा करने पहुंचे सांसद अजय भट्ट ने ये जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि योजना के अंतर्गत झील का भी निर्माण भी होगा, जिससे 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के लिए अब तक कुल 89 करोड़ रुपये अवमुक्त हो चुके हैं। प्रदेश सरकार ने इस साल मार्च में 42 करोड़ रुपये व अगस्त में 47 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। सुझावों व समस्याओं के निराकरण के लिए जिलाधिकारी ने एक समिति का गठन भी कर दिया है। सरकार की ओर से मिली धनराशि से क्षतिपूरक वृक्षारोपण व 10 सालों तक रखरखाव के लिए 9.79 करोड़ रुपये, मिट्टी तथा नमी संरक्षण गतिविधियों के लिए 2.43 करोड़ रुपये, एनपीबी के लिए 29.70 करोड़ रुपये तथा कैचमैंट एरिया ट्रीटमेंट प्लांट पर 47 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी।
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