सिद्धबली स्टोन क्रशर हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने की सुनवाई, भारत सरकार व नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को पक्षकार बनाने के निर्देश
हाई कोर्ट ने कोटद्वार में खनन नीति के खिलाफ स्थापित सिद्धबली स्टोन क्रशर को हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को भारत सरकार व नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने कोटद्वार में खनन नीति के खिलाफ स्थापित सिद्धबली स्टोन क्रशर को हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को भारत सरकार व नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 12 नवंबर नियत की गई है।
शनिवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में वीसी के माध्यम से शिवालिक वृत्त के वन संरक्षक अभिषेक तिवारी पेश हुए और रिपोर्ट पेश की। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि ईको सेंसटिव जोन सीमा 10 किलोमीटर है और यह स्टोन क्रशर 6.4 किलोमीटर के भीतर स्थापित है। दरअसल कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल के रिजर्व फॉरेस्ट में सिद्धबली स्टोन क्रशर लगाया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तय मानकों को पूरा नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रशर नेशनल पार्कों के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता जबकि यह स्टोन क्रशर 6.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूर्व में सरकार ने रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह स्टोन क्रशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क से। सरकार ने इसे सड़क से मापा है, जो गलत है। सिद्धबली स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है। यहां स्टोन क्रशर स्थापित करने से क्षेत्र के साथ-साथ वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं, लिहाजा इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाए।