काशीपुर अस्पताल में दो महीने से रह रहा घायल, नहीं है कोई सुध लेनेवाला, बोलचाल से कश्मीरी होने की संभावना
काशीपुर के एलडी भट्ट अस्पताल में 17 जून को 108 एंबुलेंस युवक को लेकर पहुंची थी। ट्रामा में भर्ती कर घायल का इलाज किया गया और कुछ दिनों में उसके जख्म तो भर गए किंतु दिमागी तौर पर अपना परिचय बताने की असमर्थता ने उसे जकड़ लिया है।
अभय कुमार पांडेय, काशीपुर। शायद माता-पिता सहित स्वजन उसे पागलों की तरह कहीं ढूंढ रहे हों, लेकिन युवक यहां अस्पताल में अपनों की तलाश में दिन काट रहा है। तकरीबन 80 दिन के बाद भी उसका कोई अपना पहुंचा न ही सिस्टम में बैठे लोगों का दिल ही पसीजा कि वे उसके परिवार की खोज करते।
काशीपुर के एलडी भट्ट अस्पताल में 17 जून को 108 एंबुलेंस युवक को लेकर पहुंची थी। ट्रामा में भर्ती कर घायल का इलाज किया गया और कुछ दिनों में उसके जख्म तो भर गए, किंतु दिमागी तौर पर अपना परिचय बताने की असमर्थता ने उसे जकड़ लिया है। इलाज के प्रारंभिक दिनों में अपना नाम आशीष बताने वाला युवक कुछ दिन बाद खुद को कासिम बताने लगा। एलडी भट्ट अस्पताल की तरफ से युवक के लिए कोई इंतजाम करने बाबत उपजिलाधिकारी को भेजा गया पत्र भी अभी तक बेनतीजा है। प्रशासन की तरफ से युवक की जानकारी कटोराताल पुलिस चौकी को भी दी गई, लेकिन उसकी पहचान या तलाश में कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है।
अस्पताल कर्मी ही बने परिवार
एलडी भट्ट अस्पताल के वार्ड में रोजाना मुस्कुराते दिखने वाले युवक का का परिचय किसी के पास नहीं है। उसे ड्रिप लगानी है न इजेंक्शन। वार्ड में ड्यूटी करने वाला स्टाफ ही उसका परिवार है। कुछ खाना होता है तो वह इशारा कर मांगता है। वार्ड की ही नर्स ने उसके लिए कपड़े भी मुहैया कराए। सीएमएस के निर्देश पर सुबह-शाम भोजन व नाश्ते का इंतजाम किया गया है। घर जाने या पूछने पर उसका जवाब होता है नहीं जाऊंगा....।
लगाए जा रहे अनुमान बोलचाल और चेहरे से कोई कश्मीरी तो कोई उसे रामपुर जिले का निवासी बताता है। अस्पताल प्रशासन के व्यक्तिगत प्रयास के बावजूद उसका पता नामालूम है। मामले में स्थानीय जिम्मेदारों का लापरवाह नजरिया सभी को कठघरे में खड़ा कर रहा है। सीएमएस पीके सिन्हा नेे बताया कि मामले से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के साथ ही कटोराताल पुलिस चौकी को अवगत कराया गया है, लेकिन फिलहाल आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी है।