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डीआरडीओ की मदद से उत्तराखंड में संवर सकते हैं उद्योग, वैज्ञानिक ने राज्य सरकार को भी दिए सुझाव

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार जोशी ने गुरुवार को डीआरडीओ धौलाखेड़ा में जागरण से बातचीत की। कहा कि उत्तराखंड में रोजगार की समस्या है। उद्यम ही ऐसा माध्यम है जिसके जरिये अधिकांश युवाओं को बेहतर रोजगार हासिल हो सकता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 07:17 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 08:23 AM (IST)
डीआरडीओ की मदद से उत्तराखंड में संवर सकते हैं उद्योग, वैज्ञानिक ने राज्य सरकार को भी दिए सुझाव
स्वच्छ वातावरण वाले पर्वतीय क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री स्थापित की जा सकती है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड में उद्योगों को स्थापित करने की तमाम संभावनाएं हैं। पर्वतीय उत्पादों के अलावा भी सैकड़ों तरह के उद्योग हैं, जो राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के लिहाज से अनुकूल साबित हो सकते हैं। बशर्ते इसके लिए युवा जागरूक हों। डीआरडीओ इसके लिए लिए हरसंभव मदद को तैयार है। यह कहना है रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार जोशी का। वह देश के इस प्रतिष्ठित संस्थान में सचिव के प्रौद्योगिकी सलाहकार भी हैं और कई पुस्तकें लिख चुके हैं।

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गुरुवार को डीआरडीओ धौलाखेड़ा में जागरण से बातचीत में डा. जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में रोजगार की समस्या है। उद्यम ही ऐसा माध्यम है, जिसके जरिये अधिकांश युवाओं को बेहतर रोजगार हासिल हो सकता है। स्वच्छ वातावरण वाले पर्वतीय क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री स्थापित की जा सकती है। दवाइयों से जुड़े उद्यम आर्थिकी संवारने के साथ ही युवाओं को आगे बढऩे के मौके दे सकते हैं। इसमें डीआरडीओ से प्रोडक्ट की तकनीक की मदद निश्शुल्क ली जा सकती है। इसके लिए युवाओं को जागरूक रहने की जरूरत है। इसे लेकर उन्होंने अगस्त में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर तमाम सुझाव भी दिए थे।

कोरोनाकाल में डीआरडीओ ने दुनिया को दिखाई उत्पादन की ताकत

डा. जोशी कहते हैं कि कोरोनाकाल से पहले सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट की खरीद अधिकांश विदेश से ही होती थी, लेकिन खुशी की बात यह है कि डीआरडीओ ने इसकी पहल की। तकनीक विकसित की और आज सैकड़ों कंपनियां आगे आ गई हैं। अब इन उपकरणों को हमें विदेश से आयात की जरूरत नहीं है।

एचएन व एमबीपीजी से पढ़े हैं वैज्ञानिक जोशी

जेकेपुरम मुखानी में रहने वाले डा. जोशी की पढ़ाई प्रारंभिक शिक्षा एचएन इंटर कालेज से हुई है। इसके बाद उन्होंने एमबीपीजी, कुमाऊं विश्वविद्यालय, जीबी पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से उच्च शिक्षा हासिल की। तकनीकी सलाहकार के रूप में रक्षा क्षेत्र में मिसाइलों की तकनीक विकसित करने, नीतियों के निर्माण में डा. जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पहाड़ से विशेष लगाव रखने वाले वैज्ञानिक का जल्द ही काव्य संग्रह प्रकाशित होने वाला है।


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