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इस परियोजना से मजबूत होंगे नेपाल-भारत के रिश्ते, नौ जनवरी को पीएम मोदी करेंगे शुभारंभ

भारत-नेपाल के बीच 1991 के बीच हुई संधि के तहत नेपाल छोर पर बैराज से करीब 150 मीटर उत्तर की ओर नेपाल को चैनल दिया जाना है। 1200 मीटर लंबे और चार मीटर ऊंचाई के इस चैनल से नेपाल को 1000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 04 Jan 2022 09:05 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jan 2022 09:05 PM (IST)
इस परियोजना से मजबूत होंगे नेपाल-भारत के रिश्ते, नौ जनवरी को पीएम मोदी करेंगे शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में वर्चुअल तरीके से शुभारंभ कर नेपाल को यह सौगात देंगे।
दीपक सिंह धामी, टनकपुर। इंडो-नेपाल के बीच 1991 में हुई संधि के तहत भारत द्वारा नेपाल के लिए बनाई जाने वाली 12 सौ मीटर नहर का कार्य 30 वर्ष बाद पूरा कर लिया। अब नेपाल को सिंचाई के लिए पानी शीघ्र ही मुहैया होगा। आगामी नौ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में वर्चुअल तरीके से शुभारंभ कर नेपाल को यह सौगात देंगे। इसके लिए कार्यदायी संस्था एनएचपीसी ने तैयारी शुरू कर दी।
टनकपुर स्थित शारदा बैराज बनाने के दौरान भारत नेपाल के बीच 1991 में संधि हुई थी। संधि के तहत भारत को बैराज से सिंचाई के लिए नेपाल को 12 सौ मीटर नहर के साथ रोड बनानी थी। भारत ने बैराज बनाकर संधि के वादे को भूल गया था लेकिन मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए दो वर्ष संधि के तहत दोनों कार्यों को कराने का आदेश दिया था। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिंह ने पंचेश्वर बांध परियोजना व एनएचपीसी के अधिकारियों के साथ टनकपुर बैराज का निरीक्षण कर 1991 की संधि के तहत बैराज से नेपाल को सिंचाई के लिए चैनल का निर्माण जल्द शुरू करने के निर्देश दिए थे। भारत-नेपाल के बीच सहमति के बाद पंचेश्वर बांध परियोजना निर्माण की कवायद शुरू कर दी गई थी। मानीटरिंग के लिए नेपाल के कंचनपुर जिला मुख्यालय महेंद्रनगर में बाकायदा दोनों देशों का ज्वाइंट कार्यालय पूर्व में खोले जा चुके है।

भारत-नेपाल के बीच 1991 के बीच हुई संधि के तहत नेपाल छोर पर बैराज से करीब 150 मीटर उत्तर की ओर नेपाल को चैनल दिया जाना है। 1200 मीटर लंबे और चार मीटर ऊंचाई के इस चैनल से नेपाल को 1000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी। संधि के तहत एनएचपीसी ने दो वर्ष पूर्व कार्य शुरू कर नहर निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है। जिसका नौ जनवरी को मोदी दिल्ली से वर्चुअल शुभारंभ करेंगे। नेपाल ने दस वर्ष पूर्व ही मटेना तक नहर निर्माण का कार्य पूरा कर लिया था। अब नहर बनने के बाद इस नहर को मटेना में लिंक कर दिया गया है। नहर शुरू होने की खुशी से नेपाल के लोगों में खुशी का माहौल बना हुआ है।

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नहर बनाने में कटे 1643 पेड
भार-नेपाल संधि के तहत दायरे में आ रहे 1643 पेड़ों का काटना पड़ा। जिसमें शीशम, खैर, खजूर, कजू आदि प्रजाति के पेड़ थे। टापू संख्या 41 में लगाया गया शीशम का प्लाट इस नहर की जद में आया था।
दोनों देशों के मध्य रोटी बेटी के संबंध और होंगे प्रगाढ़
भारत-नेपाल संधि के दौरान नहर निर्माण का कार्य पूरा होने के बाद भारत के मित्र देश नेपाल के साथ रोटी-बेटी के संबंध और प्रगाढ़ होंगे। भारत की बेटियों की शादी नेपाल में तथा भारत की बेटियों की शादी भारत में लंबे समय से होती आ रही है। नहर निर्माण के साथ ही नेपाल को सिंचाई के लिए टनकपुर बैराज से पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा। जिस कारण भारत की तरह पडोसी देश नेपाल में भी फसल लहलहाती दिखेगी।
इंडो नेपाल सीमा कोआर्डिनेटर बीएस राणा ने बताया कि 1991 में भारत नेपाल के बीच हुई संधि के तहत बनने वाली नहर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। कोरोना के चलते निर्माण में थोड़ी देरी हुई। अब नौ जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी नहर का वर्चुअल शुभारंभ करेंगे। शुभारंभ के बाद नेपाल को पानी देने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

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