पशुपालकों के लिए जरूरी खबर, जानें क्यों बांझपन का शिकार हो रही गाय
पोषण युक्त चारे की कमी से गोवंशीय पशु बांझपन का शिकार हो सकते हैं। खासकर गायों में इस तरह के मामले ज्यादा देखने में आ रहे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : पोषण युक्त चारे की कमी से गोवंशीय पशु बांझपन का शिकार हो सकते हैं। खासकर गायों में इस तरह के मामले ज्यादा देखने में आ रहे हैं। इसलिए पशुपालक इस बात पर ध्यान दें कि उनके पशु को पर्याप्त मात्रा में मिनरल युक्त चारा मिल रहा है या नहीं। किसी तरह की दिक्कत होने पर अपने न्याय पंचायत स्तर पर तैनात पशु चिकित्सकों से संपर्क कर जानकारी हासिल की जा सकती है। अब पंरपरागत पशुपालन के बजाय व्यावसायिक तौर पर पशुपालन की ओर फोकस रखना जरूरी है।
बुधवार को दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में पशुपालन विभाग के अपर निदेशक कुमाऊं डॉ. पीसी कांडपाल ने लोगों को पशुओं के सामान्य रोगों एवं विभागीय योजनाओं के बारे में बताया। साथ ही प्रदेश में चल रही 20वीं पंचवर्षीय पशुधन गणना से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए लोगों को पहली बार प्रदेश में डिजिटल मोड में की जा रही गणना की खासियत के बारे में बताया। पशुपालन प्रदेश में स्वरोजगार के साथ ही दुग्ध उत्पादन का बड़ा आधार है। विभाग न सिर्फ पशुओं के लिए इलाज की व्यवस्था करता है, बल्कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम लोगों को स्वरोजगार भी उपलब्ध करवा रहा है।
अपर निदेशक डा. पीसी कांडपाल ने बताया कि प्रदेश में सेक्स सॉर्टेड सीमेन अप्रैल से मिलना आरंभ हो जाएगा। जिससे पशुपालकों को फीमेल पैदा करने वाला पशु सीमेन मिलने लगेगा। पशुगणना कार्य 25 फरवरी तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद गणना से मिले आंकड़ों के आधार पर नई कार्ययोजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि पहली बार पशुगणना में पशुपालकों के परिवार की आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक संबंधित सूचनाएं भी एकत्रित की जा रही है। पशुओं के आंकड़े प्रजातिवार, नस्लवार, वर्ग और लिंगवार उनकी उपयोगिता के आधार पर एकत्र होंगे।
कुमाऊं में पशुओं की आबादी
वर्ष 2012 की पशुधन गणना के अनुसार कुमाऊं में नौ लाख गाय, चार लाख 60 हजार भैंसे, छह लाख 61 हजार बकरियां और 70 हजार 929 भेड़ें हैं। 2018-19 में टैबलेट से पशुगणना करने के लिए कुमाऊं मंडल में 377 प्रगणक, 76 सुपरवाइजर और प्रत्येक जिले में एक स्क्रूटनी अधिकारी तैनात किए गए हैं। गणना में पशुओं का पूरा डाटाबेस तैयार होगा।
इन योजनाओं की दी जानकारी
पशुपालन विभाग में स्वरोजगार से जुड़ी योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं। इसमें नाबार्ड के माध्यम से मिनी डेयरी योजना पशुपालन और रोजगार दोनों के लिहाज से बेहतर है। इसमें दस प्रतिशत अंशदान लाभार्थी को देना होगा। जबकि बैंकों के माध्यम से सामान्य जाति के लोगों को 25 फीसद और एससी, एसटी वर्ग के लोगों को 33 फीसद अनुदान का लाभ मिलेगा। महिला बकरी पालन योजना, अहिल्या बाई बकरी पालन योजना में भी 91 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। इन तमाम योजनाओं की विस्तृत जानकारी के लिए विभाग के नजदीकी केंद्रों में संपर्क किया जा सकता है।
इन्होंने पूछे सवाल
खेम सिंह कोटाबाग, रामलाल भवानीपुर रामनगर, महिपाल सिंह पीरूमदारा, हरेंद्र सिंह बोरा गौलापार, मोहन सिंह सुयालबाड़ी, बृजमोहन कोहली मुखानी, मोहन सिंह बेतालघाट, देवकी देवी खैरना, सोनिया खैरना, भुवन चंद गौलापार, दिनेश देवला तल्ला।
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