दो सप्ताह में 12 लाख से 70 हजार पहुंची आय, कुमाऊं से बाहर बस नहीं भेजने पर रोडवेज को घाटा
अप्रैल लास्ट तक कुमाऊं के दूसरे सबसे बड़े डिपो की रोजान करीब 12 लाख की इनकम आ रही थी। मगर अब बसों का संचालन सिर्फ कुमाऊं में होने के कारण रोजाना की इनकम 11 लाख 30 हजार रुपये गिरकर 70 हजार तक पहुंच गई।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवहन निगम को कोरोना कफ्र्यू और संक्रमण की रफ्तार ने तगड़ा झटका दिया है। अप्रैल लास्ट तक कुमाऊं के दूसरे सबसे बड़े डिपो की रोजान करीब 12 लाख की इनकम आ रही थी। मगर अब बसों का संचालन सिर्फ कुमाऊं में होने के कारण रोजाना की इनकम 11 लाख 30 हजार रुपये गिरकर 70 हजार तक पहुंच गई। स्थिति यह है कि कुछ रूटों पर बसों का संचालन करने पर डीजल के पैसे भी नहीं निकल रहे।
शासन के निर्देश पर बसों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि बाहरी राज्यों में अब नहीं भेजा जा रहा है। दून जाने के लिए रास्ते में उप्र होकर जाने की वजह से राजधानी सेवा भी बंद हो चुकी है। ऐसे में रोडवेज की कमाई भी डाउन हो गई। गनीमत रही कि आरएम कुमाऊं ने अनुबंधित बसों के संचालन पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया। वरना घाटा और बढ़ता।
केमू के पहिये सात दिन से थमे
कुमाऊं के पर्वतीय मार्गों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली केमू बसों के पहिये पिछले सात दिनों से थमे हुए हैं। किराये के विवाद को लेकर समाधान नहीं निकलने के कारण यूनियन ने 400 बसों का संचालन बंद कर दिया। वहीं, केमू का संचालन बंद होने की वजह से रोडवेज को पहाड़ की सवारियां ज्यादा मिलने लगी। अगर केमू चलती तो रोडवेज का घाटा और बढ़ता।
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