Pravesh Death Case : बंदी की मौत के मामले में सीबीआइ ने फिर काशीपुर पहुंच कर की पूछताछ
Pravesh Death Case सीबीआइ ने हल्द्वानी उपकारागार में दो-तीन दिन गहन-जांच पड़ताल कर दस्तावेज कब्जे में लिए। इसके साथ ही कुंडेश्वरी पुलिस चौकी पहुंच कर कई घंटे पड़ताल की। कुंडेश्वरी पुलिस चौकी पुलिस पर ही सबसे पहले प्रवेश की पिटाई करने का आरोप लगा था।
जागरण संवाददाता, काशीपुर : Pravesh Death Case : बंदी प्रवेश कुमार की मौत के मामले में हल्द्वानी जेल से लेकर कुंडेश्वरी चौकी तक अब सीबीआइ की रडार पर हैं। सीबीआइ की टीम शनिवार को काशीपुर में फिर दस्तक देने पहुंची। टीम कुंडेश्वरी स्थित प्रवेश कुमार के गांव पहुंचकर पूरे मामले में पड़ोसियों और अन्य जानकारों से मिलकर पूरे मामले को नए सिरे से जांच में जुट गई।
इसी साल बीती छह मार्च को हल्द्वानी उपकारागार में कुंडेश्वरी निवासी बंदी प्रवेश कुमार की मौत हो गई थी। मृतक की पत्नी ने पहले चौकी पुलिस की पिटाई से प्रवेश की मौत होने का आरोप लगाया था। इसी बीच हल्द्वानी उपकारागार के बंदी सितारगंज निवासी राहुल श्रीवास्तव ने प्रवेश की जेल में पिटाई किए जाने और बाद में इसीके चलते प्रवेश की मौत होने का आरोप लगाया था। राहुल ने स्वयं को घटना का प्रत्यक्षदर्शी बताया था। इसके बाद प्रवेश की पत्नी ने हल्द्वानी उपकारागार के चार बंदी रक्षकों समेत कुल पांच जेल कर्मियों के खिलाफ हत्या का केस हल्द्वानी कोतवाली में दर्ज कराया। मामले की कोतवाली पुलिस जांच कर रही थी कि इसी बीच 22 जुलाई को हाई कोर्ट नैनीताल ने मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया। साथ ही सरकार को नैनीताल की एसएसपी, हल्द्वानी के सीओ और आरोपित बंदी रक्षकों के तबादले पर विचार करने को कहा।
हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ अब इस केस की जांच कर रही है। इसी माह दो अगस्त को सीबीआइ ने देहरादून में प्रवेश की मौत का मुकदमा बंदी रक्षकों के खिलाफ दर्ज किया था। अब जांच शुरू हुए 12 दिन का समय बीत गया है। सीबीआइ तमाम लोगों से पूछताछ कर चुकी है। अभी तक सात से च्यादा लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
सीबीआइ ने हल्द्वानी उपकारागार में दो-तीन दिन गहन-जांच पड़ताल कर दस्तावेज कब्जे में लिए। इसके साथ ही कुंडेश्वरी पुलिस चौकी पहुंच कर कई घंटे पड़ताल की। कुंडेश्वरी पुलिस चौकी पुलिस पर ही सबसे पहले प्रवेश की पिटाई करने का आरोप लगा था। इसलिए घटना के दौरान चौकी में तैनात रहे कई पुलिस कर्मियों को अपने फंसने का डर सता रहा है। इस मामले में दस से अधिक लोगों पर सीबीआइ शिकंजा कस सकती है।