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वज्रपात से हिले लोगों के मकान, उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी, बढ़ा नदी का जलस्तर

गुरुवार की रात डरावनी भरी रही। वज्रपात से लोगों के मकान तक हिल गए। उच्‍च हिमालय पर भारी बर्फबारी हुई, वहीं नदी का जल स्‍तर बढ़ गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 08:19 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 08:19 PM (IST)
वज्रपात से हिले लोगों के मकान, उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी, बढ़ा नदी का जलस्तर
वज्रपात से हिले लोगों के मकान, उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी, बढ़ा नदी का जलस्तर

बागेश्वर, जेएनएन : गुरुवार की रात डरावनी भरी रही। वज्रपात से लोगों के मकान तक हिल गए। रातभर लोग भयभीत रहे। वज्रपात से ऊर्जा निगम को भी भारी नुकसान हुआ है। करीब 15 घंटे तक समूचे जिले की बिजली गुल रही। गुरुवार की रात करीब साढ़े आठ बजे सबसे पहला वज्रपात हुआ। लोग तब भोजन आदि कर रहे थे तभी एकाएक झटके से बिजली चली गई। करीब 15 मिनट के अंतराल में दूसरा और बारी-बारी से रात करीब साढ़े 11 बजे तक अनगिनत वज्रपात होने से लोग सहम गए। जोरदार बिजली कड़कने से सबसे लोगों के घरों में लगे बिजली के उपकरण भी फुंक गए। दर्जनों बल्ब, टीवी, मोबाइल आदि फुंकने से लोग भयभीत होने लगे। कठायतबाड़ा निवासी शिव दत्त पांडे, ईश्वरी दत्त पांडे, गंगा देवी, गीता देवी, आनंदी देवी आदि ने बताया कि वज्रपात के कारण वे रातभर ठीक से नहीं सो सके। बादल फटने का भय सताने लगा। 2013 में बादल फटने से दागण तोक में तेज गति से पानी आ गया था। चारों तरफ अंधेरा छाने से बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सबसे अधिक भयभीत हो गए थे। वज्रपात से बिजली के डिस्क इंसुलेटर जले नगर हाइडिल से करीब 600 मीटर दूर आकाशीय बिजली, तारों पर गिर गई। जिससे उप संस्थान में सर्किट ब्रेकर जल गया। दो लाइङ्क्षटग एरेस्टर जले गए। एक डिस्क इंसुलेटर फुंक गया। कांडा लाइन की सीटी जल गई। काफलीगैर लाइन का करेंट ट्रांसफार्मर फूंक गया। बिजली विभाग के काङ्क्षरदे रात में ही बिजली आपूॢत करने के लिए निकले, लेकिन अल्मोड़ा-सोमेश्वरलाइन के एक एमए पर ब्रेक डाउन हो गया और उन्हें बीच में काम रोकना पड़ा। ईई भास्कर पांडे ने बताया कि बिजली विभाग को भारी नुकसान हुआ है और शुक्रवार को 12 बजे आपूॢत सुचारु हो सकी है। वज्रपात से मंतोली गांव में आकाशीय बिजली गिरने से एक मवेशी की मौत हो गई है। देर रात वज्रपात से रमेश चंद्र पुत्र नारायण ङ्क्षसह की बकरी झुलस गई और उसकी मौत हो गई है। पीडि़त परिवार ने मुआवजे की मांग की है।

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उच्च हिमालयी गांवों में एक फीट बर्फबारी : उच्च हिमालयी क्षेत्रों से सटे गांवों में एक फीट तक बर्फबारी हुई है। जिले का अंतिम गांव खाती हिमपात से लकदक हो गया है। जिले के अन्य हिस्सों मे मूसलाधार बारिश और कपकोट में ओलावृष्टि से लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। कपकोट में 30 एमएम बारिश ने फरवरी में होने वाली बारिश के अब तक के रिकार्ड भी तोड़ डाले हैं। पहाड़ बर्फबारी, बारिश और ओलावृष्टि से जूझ रहा है। अधिक बारिश से ओलावृष्टि से लोग बेहाल हो गए हैं। रबी की फसल के लिए अधिक अतिवृष्टि खतरनाक साबित हो सकती है। ठंड से लोग बीमार भी पडऩे लगे हैं। जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। जिला अस्पताल में तैनात डॉ. राजीव उपाध्याय ने बताया कि वायरल फीवर, गले में दर्द, टाइपाइड, निमोनिया, खांसी आदि के मरीज आ रहे हैं।

यहां हुई बर्फबारी : कर्मी, विनायक, बादियाकोट, शामा आदि इलाकों में करीब एक फिट बर्फबारी हुई है। जिससे गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। सड़क, रास्ते और मकान बर्फ से लद गए हैं। बिजली, संचार, पानी आदि मूलभूत आवश्यकताएं भी फेल हो गई हैं। बर्फबारी से रिखाड़ी-बाछम मोटर मार्ग फिर से बंद हो गया है। जिससे ङ्क्षपडर घाटी का सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया है। सड़क पर करीब एक फिट बर्फ जमी हुई है। हालांकि बड़े नुकसान की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। आपदा कंट्रोल रूम लगातार पटवारियों से संपर्क साध रहा है, लेकिन संचार सेवा ध्वस्त होने से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

बारिश से जलस्तर बढ़ा : गुरुवार की रात हुई झमाझम बारिश से सरयू का जलस्तर बढ़ गया। जिससे पानी की योजनाएं भी प्रभावित हो गई है। सरयू का पानी गंदा होने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ओलावृष्टि से गेहूं की फसल बर्बाद : कपकोट क्षेत्र में गुरुवार की रात जमकर ओलावृष्टि हुई। जिससे गेहूं की खड़ी फसल को व्यापक नुकसान हुआ है।

कहा कितनी बारिश :

बागेश्वर-28 एएमएम

कपकोट-30 एमएम

गरुड़-13 एमएम

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नदियों का जलस्तर

सरयू-865.55 मीटर

गोमती-862.45 मीटर

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