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बिना वेंटिलेशन वाले घर और फ्लैट बढ़ा सकते हैं संक्रमण का खतरा

कोरोना संक्रमण बढ़ने से अस्पतालों में बेड नहीं मिले तो कम गंभीर व सामान्य मरीजों को घर पर आइसोलेट करने पर जोर दिया गया। घर में वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था न होने से कई मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे गए।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 05:58 PM (IST)
बिना वेंटिलेशन वाले घर और फ्लैट बढ़ा सकते हैं संक्रमण का खतरा
बिना वेंटिलेशन वाले घर और फ्लैट बढ़ा सकते हैं संक्रमण का खतरा

गणेश पांडे, हल्द्वानी : कोरोना संक्रमण बढ़ने से अस्पतालों में बेड नहीं मिले तो कम गंभीर व सामान्य मरीजों को घर पर आइसोलेट करने पर जोर दिया गया। घर में वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था न होने से कई मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे गए। संकट की इस घड़ी ने वेंटिलेशन युक्त वातावरण की महत्ता समझा दी है। विशेषकर शहरों का फ्लैट कल्चर व बिना प्लानिंग होती कालॉनियों की बसासत वेंटिलेशन में बाधक बन रही। विशेषज्ञों के मुताबिक ये माहौल संक्रमण बढ़ाने व उसे प्रसारित करने में भी अहम भूमिका निभाता है।

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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट यानी सीएसई ने बीते दिनों अपनी एक रिपोर्ट में वेंटिलेशन रहित घरों से होने वाले खतरों के बारे में आगाह किया है। इसमें दो घर, फ्लैट के रोशनदान, खिड़की व बालकनी में दो गज से भी कम दूरी होने को घातक बताया है। कहा है कि घर या दफ्तर में पर्याप्त वेंटिलेशन न होने से संक्रमित व्यक्ति की लार व नाक से निकलने वाला स्राव वायु अभिकरण ऐरोसोल व बूंदों के रूप में वहीं एकत्रित होने लगता है। इससे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। आर्किटेक्ट सौभाग्य दक्ष बताते हैं कि घर बनाने से पहले प्लानिंग जरूरी है, लेकिन अधिक जगह घेरने के चक्कर में लोग प्लानिंग को भूला देते हैं। घर को बेहतर डिजाइन कर लेने से एसी की जरूरत नहीं रहती और वेंटिलेशन भी बेहतर रहता है।

वास्तुकला का ध्यान रखना जरूरी

आर्किटेक्ट सौभाग्य दक्ष कहते है कि वास्तुकला यानी हवा, रोशनी के आधार पर घर बनाने से एसी की जरूरत नहीं होती। उत्तराखंड में आमतौर पर पश्चिमी हवा चलती है। पश्चिम व दक्षिण की तरफ घर बंद होना चाहिए। दूसरी दिशाओं को खोलें। भूतल की अपेक्षा ऊपरी मंजिल में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए। पूर्व व उत्तर की दिशा जितनी खुली होगी वेंटिलेशन उतना बेहतर होेगा।

पेसिव कूलिंग तकनीक पर बनें घर

घरों के भीतर संक्रमण फैलाने में एसी का बड़ा योगदान रहता है। कहीं से कमरे में वायरस आ गया है और वह किसी कोने में पड़ा है। एसी उसे कमरे में घुमा देगा। जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। एसी वाले घरों में बीच-बीच खिड़कियों को खोलना चाहिए। पेसिव कूलिंग यानी बिना किसी यांत्रिक उपकरण के घर को डिजाइन करना चाहिए ताकि वेंटिलेट रहे। पहले के समय चूने के गारे के साथ चिनाई होती थी। जाड़ों में सर्दी को लॉक करता और गर्मी में घर को ठंडा रखता था।

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