रद्दी कागज और बेकार वस्तुओं से पेंटिंग बनाते हैं हीरा सिंह कोरंगा
ब्रश व रंगों की मदद से कागज व कैनवास पर पेंटिंग बनाते आपने कइयों को देखा होगा, लेकिन हीरा सिंह कोरंगा को रद्दी कागज व बेकार वस्तुओं से पेंटिंग बनाने में विशेषज्ञता हासिल है।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : ब्रश व रंगों की मदद से कागज व कैनवास पर पेंटिंग बनाते आपने कइयों को देखा होगा, लेकिन हल्द्वानी के हीरा सिंह कोरंगा को रद्दी कागज व बेकार वस्तुओं से पेंटिंग बनाने में विशेषज्ञता हासिल है। गेहूं पौधे के डंठल, कुश घास से तैयार पेंटिंग ऐसी होती हैं कि देखने वाला देखता रह जाए। पुराने ग्रिटिंग कार्ड, कैलेंडर से तैयार पेंटिंग भी लाजवाब होती है। हीरा की बनाई पेंटिंग में प्रकृति, देवी-देवता और मानवीय जनजीवन से लेकर राजनीतिक शख्सियत तक शामिल हैं। शहर के देवलचौड़ इलाके में रहने वाले हीरा सिंह परिवार पालने के लिए जनरल स्टोर की दुकान चलाते हैं। ड्राइंग का जुनून ऐसा कि दुकान में बैठे-बैठे काउंटर पर पेंटिंग बनाने में मशगूल रहते हैं। दुकान का पिछला कमरा पेंटिंग से भरा है। दो साल में हीरा दो सौ से अधिक पेंटिंग बना चुके हैं।
तजुर्बे ने बना दिया कलाकार
मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले 36 वर्षीय हीरा सिंह कोरंगा हाईस्कूल तक पढ़े हैं। हीरा बताते हैं कि उन्होंने किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं लिया। स्कूली दिनों में छात्राओं को कपड़े पर कढ़ाई करते देखते थे। यहीं से इच्छा जगी व प्रयोग शुरू कर दिया। तजुर्बे के साथ पेंटिंग सुधरती चली गई।
हुनर के हाथों को काम की कमी नहीं
हीरा का कहना है हुनर रखने वालों के लिए काम की कमी नहीं है। बतौर हीरा 'लोग रोजगार कहते हैं, मैं हुनर कहता हूं। क्रिएटिव व लीक से हटकर काम करने वालों के लिए स्वरोजगार के तमाम मौके हैं।
स्कूलों में जाकर बच्चों को सिखाने की इच्छा
घास व कागज की रद्दी के बाद हीरा सिंह अब बांस में प्रयोग शुरू कर रहे हैं। दूसरों को हुनरमंद बनाने की लालसा रखने वाले हीरा सिंह स्कूलों में जाकर बच्चों को पेंटिंग बनाना सिखाना चाहते हैं। एक-दो स्कूल से बात शुरू की है। हीरा का नौ साल का बेटा कृष्णा भी देखा-देखी पेंटिंग में रुचि लेने लगा है।
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