90 दिन में थमाई चार्जशीट, 120 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उच्च शिक्षा विभाग में निलंबित अधिकारियों का मामला पहेली बनकर रहा गया है
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उच्च शिक्षा विभाग में निलंबित अधिकारियों का मामला पहेली बनकर रहा गया है। 31 जनवरी को निलंबित निदेशक समेत दो प्राचार्य व एक शिक्षक को 90 दिन बाद चार्जशीट थमाई गई। अब 120 दिन हो गए हैं, लेकिन इनके मामले में कोई फैसला नहीं हो सका है। इससे पूरे उच्च शिक्षा विभाग में शासन के रवैये को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
एमबीपीजी कॉलेज में एनएसयूआइ से अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही मीमांशा आर्य के गलत प्रवेश के मामले में उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. बीसी मेलकानी, जो तत्कालीन कॉलेज के प्राचार्य थे। इसके साथ ही तत्कालीन चीफ प्रॉक्टर डॉ. एएस उनियाल (वर्तमान में राजकीय डिग्री कॉलेज देवीधुरा के प्राचार्य) व शिक्षक डॉ. एनके लोहनी को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही एमबीपीजी के प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद को भी मीमांशा आर्य के मामले में कार्रवाई नहीं करने का खामियाजा भुगतना पड़ गया। सामान्यतया निलंबन प्रक्रिया के 21 दिन के भीतर चार्जशीट दे दी जाती है, लेकिन 90 दिन में चार्जशीट मिली। डॉ. उनियाल की चार्जशीट उच्च शिक्षा निदेशालय के बजाय कर्णप्रयाग महाविद्यालय भेज दी गई। निलंबन के समय से ही इनका नाम एसएस उनियाल लिखा गया है। जबकि, इनका नाम एएस उनियाल है। शासन की इस कार्रवाई पर भी सवाल उठने लगे हैं कि जल्दबाजी में जांच करने वाले अधिकारी ने निलंबन जैसी प्रक्रिया अपनाने पर भी नाम को ठीक से देखना उचित नहीं समझा। अब सभी ने चार्जशीट का जवाब दे दिया है। इसके बावजूद शासन स्तर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होने से पूरे विभाग में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कर्मचारियों, शिक्षकों व एनएसयूआइ का आंदोलन पड़ा ठंडा
जब उच्च शिक्षा विभाग के ये अधिकारी निलंबित हुए। तब कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। एनएसयूआइ भी सड़क पर आ गई थी। शिक्षकों का संगठन भी डरे-डरे आंदोलन की बात करने लगे, लेकिन एक सप्ताह में ही सभी का जोश ठंडा पड़ गया। चेतावनी के तौर पर एक कर्मचारी नेता को दुर्गम में संबद्ध कर दिया। इसके बाद सभी खामोश हो गए।