दो साल बाद एएनएम पद पर नियुक्ति का इंतजार खत्म
सूबे में पिछले दो साल से एएनएम पद पर चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल: सूबे में पिछले दो साल से एएनएम पद पर चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का इंतजार खत्म हो गया है। हाई कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने डीजी हेल्थ, सीएमओ टिहरी गढ़वाल, चम्पावत, रुद्रप्रयाग, ऊधमसिंह नगर व अल्मोड़ा को अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने को कहा है।
दरअसल, 15 मार्च 2016 को 440 महिला हेल्थ पर्सन एएनएम पदों के लिए विज्ञप्ति जारी हुई थी। इसी साल आठ मार्च को 293 चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई। 12 मार्च को इन्हें नियुक्ति पत्र जारी किए गए, जबकि 16 मार्च को महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने आदेश पारित कर दिया कि फिलहाल अग्रिम आदेशों तक नियुक्ति न दी जाए। 2016 में ही विज्ञान अभ्यर्थियों ने कला वर्ग के अभ्यर्थियों को बाहर करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। 293 चयनित अभ्यर्थियों को चयन सूची जारी करने के बाद भी जांच के बहाने नियुक्ति नहीं मिल सकी, जिसके बाद विज्ञान वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों सुनीता व अन्य ने याचिका दायर कर नियुक्ति की मांग की। शनिवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति के आदेश डीजी हेल्थ व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को दिए। आरा मशीन व प्लाइवुड फैक्ट्रियों को लाइसेंस देने पर रोक
जासं, नैनीताल : हाई कोर्ट ने प्रदेश में आरा मशीन व प्लाइवुड फैक्ट्रियों के लाइसेंस दिए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश भी दिए हैं कि यदि 15 नवंबर से अब तक कोई लाइसेंस दिया गया है तो उसे वापस ले लिया जाए। शनिवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में रामनगर निवासी रजनी शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में आरा मशीनों व प्लाइवुड फैक्ट्रियों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं, जो गलत है। याचिकाकर्ता के अनुसार सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में यह लाइसेंस दे रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत है। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने आरा मशीन व प्लाइवुड के लाइसेंस देने पर रोक लगा दी।