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हाईप्रोफाइल पुस्तकालय घोटाले की टेंडर से लेकर भुगतान तक के रिकॉर्ड तलब, हाईकोर्ट ने दी सीबीआइ जांच की चेतावनी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया 12 पुस्तकालय में से 10 पुस्तकालय जो बनाए गए है। यह सभी मंदिरों में व स्थानीय विधायक मदन कौशिक के वर्करों के घरों में बनाए गए है जो अभी चालू हालत में नही है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 05:15 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 09:51 PM (IST)
हाईप्रोफाइल पुस्तकालय घोटाले की टेंडर से लेकर भुगतान तक के रिकॉर्ड तलब, हाईकोर्ट ने दी सीबीआइ जांच की चेतावनी
कोर्ट ने कहा अगर राज्य सरकार रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराती है तो मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाएगी।

जागरण संवादाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पुस्तकालय के टेंडर से लेकर अब तक का पूरा रिकार्ड कोर्ट में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा अगर राज्य सरकार रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराती है तो मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाएगी।

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बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया 12 पुस्तकालय में से 10 पुस्तकालय जो बनाए गए है। यह सभी मंदिरों में व स्थानीय विधायक मदन कौशिक के वर्करों के घरों में बनाए गए है, जो अभी चालू हालत में नही है। इनमें से पांच पुस्तकालय पर कब्जा नहीं लिया जा सकता, क्योंकि वे घरों में बने है, जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सारा रिकॉर्ड तलब किया। 

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति  आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में  देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था । पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दी गई लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई। अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है, लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।


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