एनआइटी श्रीनगर गढ़वाल के स्थायी परिसर निर्माण में हीलाहवाली पर हाई कोर्ट सख्त UTTARAKHAND HIGH COURT
हाई कोर्ट ने एनआइटी श्रीनगर गढ़वाल के स्थायी परिसर निर्माण में हीलाहवाली पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने एनआइटी श्रीनगर गढ़वाल के स्थायी परिसर निर्माण में हीलाहवाली पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए निर्माण की समय सीमा नहीं बताने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एनआइटी के निदेशक को भी हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही पूछा है कि नए सत्र में छात्रों को एनआइटी स्तर की सुविधाएं दी जा रही हैं या नहीं। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में एनआइटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि श्रीनगर में कॉलेज बने नौ साल हो गए, मगर एनआइटी को स्थायी कैंपस नहीं मिला। इसे लेकर छात्र लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, मगर सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। कहा कि जिस स्थान पर संस्थान है, वह बिल्डिंग जर्जर हाल में है, जिसमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, स्थायी कैंपस की मांग के समर्थन में आंदोलन के दौरान हादसे में एक छात्रा की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गई थी। यहां बता दें कि हाई कोर्ट मेें मामला आने के बाद सरकार ने एनआइटी को श्रीनगर गढ़वाल से जयपुर राजस्थान शिफ्ट करने का फैसला लिया था, जबकि केंद्र व राज्य सरकार ने एनआइटी को जयपुर शिफ्ट किए जाने पर सख्त नाराजगी जताई थी। इसके बाद सरकार ने कदम पीछे खींचते हुए बताया था कि एनआइटी का परिसर श्रीनगर के सुमाड़ी में ही होगा। सुमाड़ी के ग्रामीणों ने संस्थान के लिए भूमि दान में दी है।