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शिक्षा विभाग में अफसरों के ढाई सौ पद सृजित करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस जीओ को निरस्त किया जाय जो लोग इन पदों में कार्यरत है उनको कार्यमुक्त कर उनसे रिकवरी की जाय। जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग न हो। याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 05:35 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 05:35 PM (IST)
शिक्षा विभाग में अफसरों के ढाई सौ पद सृजित करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
सरकार के 2016 के शासनादेश को चुनोती दी है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग में उत्तराखंड शिक्षा नियमावली 2006 के विरुद्ध अधिकारियों के 250 सृजित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

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बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी सतीश लखेड़ा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें सरकार के 2016 के शासनादेश को चुनोती दी है। याचिकाकर्ता का कहना है 2006 की उत्तराखंड शिक्षा नियमावली के अनुसार शिक्षा विभाग में एक डायरेक्टर होगा और हर रीजन में एक रीजनल डायरेक्टर होगा परन्तु सरकार ने 2016 में एक शासनादेश जारी कर एक डायरेक्टर की जगह तीन डायरेक्टर नियुक्त कर दिए और हर रीजन में एक रीजनल डायरेक्टर की जगह दस दस रीजनल डायरेक्टर नियुक्त कर दिए है, जिनकी संख्या लगभग 250 के आसपास है।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस जीओ को निरस्त किया जाय, जो लोग इन पदों में कार्यरत है उनको कार्यमुक्त कर उनसे रिकवरी की जाय। जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग न हो। याचिकाकर्ता के अनुसार जब उन्होंने इस सम्बंध में जनहित याचिका दायर की है उनको समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि सरकार अब 250 पदों को समाप्त करने जा रही है।

सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड में घोटाले पर मांगा जवाब

नैनीताल। उच्च न्यायालय ने भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेस करने को कहा है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि वर्ष 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने हेतु विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गई। जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया तथा बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया। जब चेयरमैन द्वारा इसकी जांच कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई।

उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई, जिसमें बड़े बड़े सफेदपोश नेता व अधिकारियों के नाम सामने आए लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया । जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नही की जा रही है और अपने लोगो को बचाया जा रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष रूप में कराई जाए।

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