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आइआइटी रुड़की में हुए भ्रष्‍टाचार मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश निरस्‍त किया

हाई कोर्ट ने आइआइटी रुड़की में एक करोड़ से अधिक घपले के मामले में एसीजेएम रुड़की के निदेशक व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि एक अपराध के लिए दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 08:36 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 08:36 AM (IST)
आइआइटी रुड़की में हुए भ्रष्‍टाचार मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश निरस्‍त किया
आइआइटी रुड़की में हुए भ्रष्‍टाचार मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश निरस्‍त किया

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने आइआइटी रुड़की में एक करोड़ से अधिक घपले के मामले में एसीजेएम रुड़की के निदेशक व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि एक अपराध के लिए दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती। यह भी कहा है कि पुलिस जांच का दायरा बढ़ाने को स्वतंत्र है।

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बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में आइआइटी रुड़की के निदेशक व आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर प्रो. अजीत चतुर्वेदी व अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि संस्थान के सीनियर सुप्रीटेंडेंट धीरज उपाध्याय ने एक करोड़ पांच लाख का गबन किया तो संस्थान ने 25 अगस्त 2020 को उन्हें चार्जशीट थमा दी। तीन सितंबर को धीरज ने आरोप स्वीकार भी किए और जांच उपरांत सात दिसंबर 2020 को उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

इसके बाद संस्थान ने 11 दिसंबर 2020 को कोतवाली रुड़की में मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई। इसी बीच संस्थान से ही रिटायर मनपाल शर्मा ने धारा-156-तीन के तहत अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर आरोप लगा दिया कि इस घपले में निदेशक, डीन व डिप्टी रजिस्ट्रार भी शामिल थे तो 23 दिसंबर 2020 को एसीजेएम रुड़की ने इस घपले में निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी, डीन डा. श्रीखंडे, असिस्टेंट रजिस्ट्रार जितेंद्र डिमरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए।

निचली अदालत के इस आदेश को निदेशक चतुर्वेदी व अन्य ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की पीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि एक अपराध की दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती। संस्थान के पूर्व कार्मिक के आरोप निराधार हैं और बिना सबूत के लगाए गए हैं, जबकि इस प्रकरण की पुलिस जांच चल रही है, जिसकी प्राथमिकी खुद संस्थान ने दर्ज कराई है। एकलपीठ ने न्यूज चैनल के हेड अर्नब गोस्वामी केस में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर साफ किया कि एक अपराध के लिए दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस आधार पर सीजेएम कोर्ट का प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निरस्त कर दिया।


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