सचिवालय में पदोन्नति मामले में हाई कोर्ट ने सरकार और विपक्षियों से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने सचिवालय में कार्यरत प्रमुख निजी सचिवों की पदोन्नति मामले में सरकार व विपक्षियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने सचिवालय में कार्यरत प्रमुख निजी सचिवों की पदोन्नति मामले में सरकार व विपक्षियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार को निर्देश दिए हैं कि उन्हें उनके पदों पर बने रहने दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में मंगलवार को सचिवालय में कार्यरत प्रमुख निजी सचिव त्रिलोक चंद्र तिवारी, आरएस देव की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि 2004 में सरकार ने वरिष्ठता सूची जारी कर याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति दी थी। 2009 में सरकार ने व्यक्तिगत सहायकों की दोबारा वरिष्ठता सूची जारी की, जिसे विपक्षियों ने ट्रिब्यूनल में चुनौती दी। जिसके बाद पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल ने सरकार की 2009 की वरिष्ठता सूची निरस्त कर नए सिरे से सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि विपक्षियों के प्रत्यावेदन के आधार पर ही सरकार ने 2009 में वरिष्ठता सूची जारी की थी। इसी वरिष्ठता सूची के आधार पर उनका तीन बार प्रमोशन भी हो चुका है। अब वह प्रमुख निजी सचिवों के पदों पर कार्यरत हैं, लिहाजा उन्हें अपने पदों पर बने रहने दिया जाए। यदि सरकार फिर से वरिष्ठता सूची जारी करती है तो वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के विपरीत होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ललित सामंत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिकार वर्तमान पद पर परिपक्व हो चुके हैं। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं को उनके पदों पर बने रहने दिया जाए। साथ ही इस संबंध में राज्य सरकार व विपक्षियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के खिलाड़ियों को राजकीय सेवाओं में नहीं मिलेगा कोटा, सरकार को कानून बनाने की छूट
यह भी पढ़ें : अवैध खनन के कारण फिर खोखली हो रही गौला पुल की बुनियाद, जिम्मेदार अफसर बने अंजान
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप