दून विवि में एसोसिएट पद नियम विरुद्ध हुईं नियुक्तियों के मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
दून विवि में एसोसिएट पद नियम विरुद्ध हुईं नियुक्तियों के मामले में हाई कोर्ट ने दून विवि कुलपति दूरदर्शन रांची बीआर अंबेडकर विवि बिहार से मांगा जवाब।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने दून विवि में एसोसिएट पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने विवि अनुदान आयोग, दून विवि, दूरदर्शन रांची, बीआर अंबेडकर विवि बिहार, दून विवि कुलपति प्रो. डीके नौटियाल, कुलसचिव सहित उच्च शिक्षा निदेशक को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि दून विवि में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर राजेश कुमार की नियुक्ति नियम विरुद्ध है। कहा कि नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर के लिए मास कम्यूनिकेशन में पीएचडी जरूरी है लेकिन राजेश कुमार को बिना पीएचडी के एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त कर दिया। याचिका में यह भी कहा है कि एसोसिएशट प्रोफेसर के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर होना जरूरी है मगर राजेश ने कभी असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर काम नहीं किया। वह दूरदर्शन रांची में ट्रांसमिशन एक्सक्यूटिव के पद पर कार्यरत रहे। उनके पास यूजीसी मानक के अनुसार एसोसिएट प्राध्यापक पद के लिए नेट या स्लेट की योग्यता भी नहीं है। याचिका में राजेश की भीमराव अंबेडकर विवि बिहार से जारी पीएचडी की डिग्री की जांच की मांग भी की है। यह भी कहा कि दून विवि की पहली स्क्रीनिंग कमेटी ने राजेश को एसो. प्रोफेसर पद पर अयोग्य घोषित किया था लेकिन तत्कालीन चयन कमेटी व अन्य ने उन्हें नियुक्ति दे दी। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद यूजीसी, दून विवि, दूरदर्शन रांची, अंबेडकर विवि बिहार, दून विवि कुलपति प्रो डीके नौटियाल, कुलसचिव व निदेशक उच्च शिक्षा को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।