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हाईकोर्ट में महिला पुलिसकर्मियों को फ्रंटलाइन ड्यूटी से मुक्त करने की मांग

हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के दौर में फ्रंटलाइनर व पांच साल से कम आयु के बच्चों वाली महिला पुलिस कर्मियों की फ्रंटलाइन ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई की तिथि नियत की है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 09 Jul 2021 07:35 AM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 07:35 AM (IST)
हाईकोर्ट में महिला पुलिसकर्मियों को फ्रंटलाइन ड्यूटी से मुक्त करने की मांग
हाईकोर्ट का आदेश, महिला पुलिसकर्मियों को फ्रंटलाइन ड्यूटी से मुक्त किया जाय

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के दौर में फ्रंटलाइनर व पांच साल से कम आयु के बच्चों वाली महिला पुलिस कर्मियों की फ्रंटलाइन ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई की तिथि नियत की है।

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गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुभाष तनेजा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि कोरोना के समय पुलिस विभाग में महिला पुलिस कर्मी, जिनके पांच साल से कम उम्र के बच्चे है, उनकी ड्यूटी फील्ड में न लगाई जाय। फ्रंट लाइन में ड्यूटी लगाने से कोरोना से उनके छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि उनकी डियूटी ऑफिसों में लगाई जाय। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने छोटे बच्चों को बचाने के लिए कोई उचित कदम नही उठाए है।

अल्मोड़ा व चंपावत के डीएफओ हाईकोर्ट में तलब

हाईकोर्ट ने आदेश का पालन नहीं करने पर डीएफओ अल्मोड़ा व डीएफओ चंपावत को 13 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए है। गुरुवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में वन कर्मियों क्रमशः नन्दन सिंह, पूरन सिंह गहतोड़ी व कृष्णानंद भट्ट की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि पूर्व में कोर्ट ने उनकी समस्त सेवाओ को जोड़कर उन्हें ग्रेच्युटी व पेंशन देने के आदेश दिए थे लेकिन अभी तक पेंशन व ग्रेच्युटी का लाभ नही दिया गया। याचिकर्ताओं के अनुसार वह वन विभाग में 1981 में वर्कचार्ज कर्मचारी के रूप में भर्ती हुए थे ।2003 में उनको नियमित किया गया। 2017 में वन दरोगा के पद से रिटायर हो गए थे लेकिन विभाग ने उनकी पूर्व की सेवाओं को न जोड़कर उनकी ग्रेच्युटी व पेंशन रोक दी। जिसे उनके द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी। कोर्ट ने अपने आदेश में विभाग को निर्देश दिया था कि इनकी समस्त सेवाओं को जोड़कर ग्रेच्युटी व पेंशन का लाभ दिया जाय।


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