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विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट नैनीताल ने एक और सजायाफ्ता अभियुक्त को रिहा करने का आदेश दिया

हाई कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिले में दादरी से पूर्व विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में सीबीआई देहरादून की अदालत से सजायाफ्ता अभियुक्त करन यादव को भी रिहा करने के आदेश पारित किए हैं। राज्य की सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 11:16 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 11:46 AM (IST)
विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट नैनीताल ने एक और सजायाफ्ता अभियुक्त को रिहा करने का आदेश दिया
विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट नैनीताल ने एक और सजायाफ्ता अभियुक्त को रिहा करने का आदेश दिया

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिले में दादरी से पूर्व विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में सीबीआई देहरादून की अदालत से सजायाफ्ता अभियुक्त करन यादव को भी रिहा करने के आदेश पारित किए हैं। राज्य की सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया है।

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इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड में हाईकोर्ट अब तक मुख्य अभियुक्त यूपी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद डीपी यादव, पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाल को भी बरी करने का आदेश पारित कर चुकी है। जबकि परनीत भाटी की विशेष अपील पर निर्णय सुरक्षित रखा है।

देहरादून की सीबीआई कोर्ट द्वारा डीपी समेत चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ अभियुक्तों द्वारा विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी। कोर्ट ने ठोस सबूत नहीं मिलने पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा कि ट्रायल के दौरान सीबीआई पर्याप्त सबूत जुटाने में असमर्थ रही है। जो भी सबूत जुटाए गए थे, उनमें विरोधाभास रहा था। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाया।

यह था मामला

13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद (अब गौतमबुद्ध नगर) जिले के दादरी से विधायक रहे महेंद्र भाटी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाल व चार अन्य पर केस दर्ज किया गया था। तब सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद यह मामला सीबीआइ देहरादून कोर्ट में भेजा गया। 15 फरवरी 2015 को सीबीआइ कोर्ट ने चारों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। विचारण के दौरान चार अन्य की मौत हो चुकी थी।इस आदेश को शेष चारों अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अलग अलग विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।

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