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देहरादून से सहारनपुर तक बन रहे 19 किमी हाईवे मामले में हाईकोर्ट ने की सुनवाई, मांगा ये जवाब

हाइकोर्ट ने देहरादून से गणेशपुर सहारनपुर के बीच बन रहे 19 किलोमीटर के नेशनल हाइवे के मामले में शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जो तीन किलोमीटर रोड राजाजी नेशनल पार्क में पड़ रही है क्या उसकी अनुमति दी गयी है ?

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 06:25 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 06:25 PM (IST)
देहरादून से सहारनपुर तक बन रहे 19 किमी हाईवे मामले में हाईकोर्ट ने की सुनवाई, मांगा ये जवाब
देहरादून से सहारनपुर तक बन रहे 19 किमी हाईवे मामले में हाईकोर्ट ने की सुनवाई, मांगा ये जवाब

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाइकोर्ट ने देहरादून से गणेशपुर सहारनपुर उत्तर प्रदेश के बीच बन रहे 19 किलोमीटर के नेशनल हाइवे के मामले में शुक्रवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जो तीन किलोमीटर रोड राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन में पड़ रही है क्या उसकी अनुमति दी गयी है ? मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड से यह बताने को कहा है कि इको सेंसटिव जोन की नौ हेक्टयर भूमि जो कट रही है, उसका विस्तार किसी और जगह किया जा रहा है ? साथ मे कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वानिकी नीति के आधार पर जो पेड़ काटे जाते हैं उनके बदले कितने पेड़ लगाए जाते है ? इस सम्बंध में 18 मार्च तक कोर्ट में शपथपत्र पेश करें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई।

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हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने देहरादून से गणेशपुर निकट सहारनपुर यूपी के बीच 19 किलोमीटर की नेशनल हाइवे लाइन बनाई जा रही है। जिसमे तीन किलोमीटर रोड देहरादून व राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन से होकर जा रही है। रोड के चौड़ीकरण होने से इको सेंसटिव जोन का नौ हैक्टेयर क्षेत्र कम हो रहा है जिससे वहाँ पर विचरण करने वाले वन्य जीवों के क्षेत्र पर प्रभाव पड़ रहा है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि रोड के चौड़ीकरण होने से करीब 2700 पेड़ काटे जा रहे हैं जिनकी उम्र करीब 100 से 150 साल है और इन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया था। ऐसी परिस्थियों में केंद्र सरकार को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है और राज्य सरकार के मुख्य वन प्रतिपालक मौका मुआयना करता है, जो नही किया गया और सीधे अनुमति दे दी गयी। जो क्षेत्र इको सेंसटिव जोन का कम हो रहा है उसके बदले कहीं अन्य क्षेत्र में इसका विस्तार नही किया जा रहा है। जिसके कारण विचरण करने वाले जीवों के क्षेत्रफल पर पड़ रहा है और इसकी जांच कराई जाय।


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