गोमुख में कृत्रिम झील मामले में हार्इ कोर्ट ने हलफनामे में मांगी आपत्तियां
गोमुख में कृत्रिम झील बनने के मामले में सुनवार्इ करते हुए हार्इकोर्ट ने याचिकाकर्ता से सभी आपत्तियां शपथ पत्र के जरिए से दो हफ्ते में कोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने गोमुख में कृत्रिम झील बनने की मामले में याचिकाकर्ता से दो सप्ताह में हलफनामे के साथ सारी आपत्तियां दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई पांच जुलाई नियत की गई है।
दिल्ली निवासी अजय गौतम ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गोमुख पर करीब डेढ़ किमी एरिया में 30 मीटर ऊंचा व ढाई सौ मीटर चौड़ाई में चट्टान व हजारों टन मलबा जमा है। डेढ़ किमी दायरे में झील बन गई है। इससे केदारनाथ जैसी आपदा कभी भी आ सकती है। याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा दाखिल जवाब का हवाला देते हुए कहा कि सरकार द्वारा सिर्फ झील को ही फोकस किया है।
झील का सर्वे व हवाई सर्वेक्षण तब किया गया जब बर्फ से ढकी है, जबकि निरीक्षण मई या जून माह में किया जाना चाहिए। याची के अनुसार इनपुट एजेंसी कहती है कि वहां हजारों टन मलबा जमा है और ग्लेशियर हर साल पिघल रहा है। झील ने वहां पर आकार ले लिया है। इससे गंगा का अस्तित्व भी खतरे में है।
लिहाजा मलबे को हटाया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से अपनी सभी आपत्तियां शपथ पत्र के माध्यम से दो सप्ताह में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
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