ब्रह्मदेव कॉरिडोर रिजर्व फॉरेस्ट में पार्किंग मामले में सुनवाई अब चार अगस्त को
हाई कोर्ट ने टनकपुर में ब्रह्मदेव कॉरिडोर रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर पार्किंग बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई तिथि चार अगस्त नियत कर दी। पूर्व में कोर्ट ने पार्किंग बनाने के जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी थी!
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने टनकपुर में ब्रह्मदेव कॉरिडोर रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर पार्किंग बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई तिथि चार अगस्त नियत कर दी। पूर्व में कोर्ट ने वन विभाग और राजस्व विभाग से वन भूमि का सर्वे कराकर स्थिति साफ करने के साथ ही पार्किंग बनाने के जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी थी!
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में खटीमा निवासी अमित खोलिया की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें कहा गया है कि जिलाधिकारी ने तीन फरवरी 2021 को ब्रह्मदेव रिजर्व कॉरिडोर में पार्किंग का टेंडर निकाला था, जो अब पूर्ण होने को है। 29 मार्च से पूर्णागिरी का मेला शुरू हुआ था।
इस टेंडर प्रक्रिया में वन विभाग ने आपत्ति की थी मगर डीएम चम्पावत ने इस आपत्ति को दरकिनार कर टेंडर जारी कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार यह रिजर्व फॉरेस्ट है, पूर्व में कोर्ट ने यहां पर किसी भी प्रकार की निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगाई थी। इस संबंध में सरकार ने कोर्ट को बताया था कि सरकार रिजर्व फॉरेस्ट में किसी तरह का निर्माण नहीं करेगी।
हाई कोर्ट ने लोनिवि के अधिशासी अभियंता के रिकवरी आदेश पर लगाई रोक
उच्च न्यायालय ने अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग भवाली के रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही याचिकाकर्ता को हर महीने की दस तारीख से पहले पेंशन देने के आदेश पारित किए हैं। बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में, हल्द्वानी अमृतपुर निवासी विद्या देवी ने याचिका दायर कर कहा है कि उनके पति भवाली लोक निर्माण विभाग में बेलदार के पद पर कार्यरत थे। उनकी मृत्यु सेवा के दौरान ही 10 अक्टूबर 2020 को हो गई थी। मृत्यु के बाद विभाग ने न तो उनको आश्रित की नौकरी दी, न ही पेंशन जारी की। ऊपर से अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग भवाली ने 5.56 लाख की रिकवरी का आदेश जारी कर दिया। विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि यह रिकवरी 2016 से 2020 तक उनके पति को अधिक वेतन दिए जाने की वजह से वसूली जा रही है। इस आदेश को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने अधिशासी अभियंता के आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को महीने की दस तारीख से पहले पेंशन देने के आदेश दिए हैं।